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Showing posts from November, 2016

सिर्फ तुकबंदी नहीं हैं छठ के गीत

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छठ, लोक आस्था का महापर्व। जाहिर है इस पर्व पर लोक कंठों से फूटने वाले गीत सिर्फ तुकबंदी तो होंगे नहीं। पीढ़ी दर पीढ़ी गाए जा रहे छठ के सारगर्भित गीतों का यदि हम मतलब और मकसद समझ लें, तो समझिए छठ माता की पूजा करने जितना पुण्य मिल गया। यह बात प्रचलित है कि छठ बेटों का त्योहार है। पुत्र प्राप्ति की इच्छा के साथ और पुत्र प्राप्ति के बाद कृतज्ञता जताने के लिए यह व्रत किया जाता है। लेकिन, छठ के गीत इससे पूरी तरह इत्तफाक नहीं रखते। कई गानों में बेटियों की कामना की गई है। ऐसा ही एक गीत है - पांच पुत्तर, अन्न-धन लक्ष्मी, धियवा (बेटी) मंगबो जरूर । यानी बेटे और धन-धान्य की कामना तो की गई है, लेकिन उसमें यह बात भी है कि छठ माता से बेटी जरूर मांगना है। यह 'जरूर' शब्द साबित करता है कि बेटियों को लेकर छठ पूजा करने वाले समाज ने बेटों और बेटियों में फर्क नहीं किया। एक और गीत यूं है कि रुनकी-झुनकी बेटी मांगीला पढ़ल पंडितवा दामाद, हे छठी मइया...। संभवत: ये गीत स्त्री कंठों से फूटे थे और आज भी छठ के मौके पर आमतौर पर महिलाएं ही इन गीतों को गाती हैं, जबकि व्रतियों में पुरुष भी होते हैं। दाद दीजि...

वर्ण व्यवस्था को खामोश चैलेंज

बादशाह अकबर ने एक बार बीरबल से कहा कि जमीन पर खिंची लकीर को बिना काटे या मिटाये छोटा करके दिखाओ। बीरबल ने तत्काल उस लकीर के समानान्तर उससे बड़ी लकीर खींच दी और कहा कि देखिये आपकी लकीर छोटी हो गई। यानी बादशाह को उसी की चाल से मात। वर्ण व्यवस्था के संस्थापकों ने कहा कि ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण,भुजा से ठाकुर, जांघ से वैश्य और पैरों की उँगलियों से शूद्रों का जन्म हुआ।अधिकतर लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। लेकिन एक जाति के नुमाइंदों ने बीरबल की तरह इससे बड़ी लकीर खींच दी कि उनके आदि पुरुष का जन्म ब्रह्मा के पूरे शरीर से हुआ है और ब्रह्मा की पूरी काया में स्थित होने के कारण उनकी जाति कायस्थ है। और यह वर्ण व्यवस्था को पहला चैलेंज था। वर्ण व्यवस्था में चारों वर्णों के लिए चार त्यौहार भी नियत थे। ब्राह्मणों का रच्छा बंधन, ठाकुरों का दसहरा, वैश्यों की दिवाली और शूद्रों के लिए होली। दूसरी लकीर यह खींची गई और कहा गया कि कायस्थों का पर्व चित्रगुप्त पूजा है। चारों त्योहारों से इतर। यह सिस्टम को दूसरा चैलेंज था। जाति वर्ण में समाज को बाँटने वालों ने गोत्र की भी कल्पना की। कहा जाता है कि एक ...