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बिहार में क्यों भिड़े हैं OBC के सवर्ण?

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वर्ण व्यवस्था में जिस तरह चार वर्ण होते हैं, उसी तरह ओबीसी और दलित जातियों में भी यह सिस्टम पाया जाता है। पिछड़ों और दलितों के अपने सवर्ण और पिछड़े होते हैं। बिहार की बात करें तो यादव, कुर्मी और कोइरी (कुशवाहा) ये ओबीसी के सवर्ण हैं और  जाटव-पासवान दलितों के। राजनीतिक या दूसरे तरीके की महत्वाकांक्षा इनके अंदर इतनी अधिक है कि ये आपस में एक दूसरे का नेतृत्व स्वीकार नहीं कर पाते। लालू यादव को कभी लव-कुश (नीतीश कुमार का दिया नाम) ने नेता नहीं माना तो अहीरों ने नीतीश कुमार या उपेंद्र कुशवाहा को। अपने-अपने जातीय गौरव बोध के साथ ये एक-दूसरे के पास तो आए, लेकिन एक नहीं हो पाए। नीतीश कुमार ने बहुत पहले कहा था कि कोइरी-कुर्मी एक हैं, इनमें आपस में शादी-व्याह का भी रिश्ता होना चाहिए।  लेकिन यह सामाजिक बदलाव आज तक नहीं आया। जो जातीय संरचना है, उसमें कुर्मी को बड़ा और कुशवाहा को छोटा भाई माना जाता है। कहा जाता है कि बहुत पहले सर छोटूराम और उसके बाद चौधरी चरण सिंह ने अहीर-जाट और गुर्जर को एक कर अजगर समुदाय बनाने की नाकाम कोशिश की थी। जानकार बताते हैं कि इस अजगर समुदाय में राजपूतों को भी रखने क...