गर ये दीवारें नहीं होतीं तो नल्हड़ में उस दिन और बुरा होता

नूंह के नल्हड़ मंदिर से निकली जलाभिषेक यात्रा पर पथराव, फायरिंग और आगजनी को भले एक हफ्ता हो गया हो, कर्फ्यू में ढील एक घंटे और बढ़ा दी गई हो, लेकिन जले हुए दरखत, टूटी हुई गाड़ियां, साइबर थाने की ध्वस्त दीवार, चौराहों पर मौजूद रैपिड एक्शन फोर्स और मंदिर में डेरा डाले आईटीबीपी के जवान, शांत पड़ा दिल्ली अलवर हाइ वे और बंद पड़े बस डिपो के गेट इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अभी हालात करीब करीब वैसे ही हैं, जैसे 31 जुलाई को बवाल के बाद बने थे। आज सावन की सोमवारी है, भोले के भक्तों का पसंदीदा दिन। नल्हड़ मंदिर जाने वाले उस तिराहे पर, जहां सिटी हॉस्पिटल है, वहां हरियाणा पुलिस के जवान खड़े हैं, बैरिकेडिंग भी हुई है। वे पूरी तस्दीक कर, रजिस्टर में नाम पता, गाड़ी और मोबाइल नंबर नोट करने के बाद ही आगे जाने दे रहे हैं। यहां अतिक्रमण पर जो बुलडोजर चला है, उसका मलबा अब भी है। यहां से पहाड़ी की तलहटी में, हरे भरे खेतों के बीच बल खाती सड़क ले जाती है शहीद हसन खां मेवाती मेडिकल कॉलेज और वहां से दाहिने वाली सड़क थोड़ी ऊंची होकर जाती है, नलहड मंदिर की ओर। यहां भी अतिक्रमण विरोधी एक्शन के निशान हैं, ले...