बिहार : पांच साल इंतजार नहीं करने वाली कौमें वाकई जिंदा हैं?
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बिहार में फिलहाल जिसने भी कुछ हासिल किया हो या कुछ खोया हो, लेकिन विजय और पराजय के वक्त में शिकस्त लोकतंत्र की हुई है, तार-तार नैतिकता हुई है, राजनीतिक हया बेपर्दा हुई है। नीतीश कुमार फिर सीएम बन जाएंगे, बीजेपी सत्ता में साझीदार हो जाएगी, लेकिन वहां के लोगों को क्या मिला? उस प्रदेश को क्या हासिल हुआ,जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां की राजनीतिक चेतना बहुत अच्छी है या जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करतीं? बीजेपी की उपलब्धि इस तोड़फोड़ यानी सीएम नीतीश कुमार के एनडीए में जाने से INDI गठबंधन अप्रासंगिक सा हो जाएगा और लोकसभा चुनाव में कुछ अपवादों को छोड़कर बीजेपी के सामने संयुक्त उम्मीदवार नहीं होंगे। ममता बनर्जी पहले ही अपने रास्ते अलग कर चुकी हैं, पंजाब के सीएम भगवंत मान लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कह चुके हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार में प्रवेश करने ही वाली है, उसके ठीक पहले बिहार का यह राजनीतिक घटनाक्रम कांग्रेस समेत INDI गठबंधन के नेताओं को हतोत्साहित करेगा ही। INDI गठबंधन दरअसल नीतीश कुमार का ही प्रयास है। बाद में वहां जो...