इमरजेंसी के बहाने

25 जून का लेख एक दिन लेट पोस्ट कर रहा हूं आज 25 जून है। एक घंटे बाद 26 जून हो जायेगा। उम्मीद है कि राजसत्ता ऐसा कुछ नहीं करेगी कि सुबह का उजाला अँधियारा लेकर आये। लेकिन 41 साल पहले 26 जून की सुबह रात से भी काली थी। इमरजेंसी लग चुकी थी। इमरजेंसी किसने लगाई ये सबको पता था लेकिन इंदिरा गांधी ने all india radio पर दिए अपने सम्बोधन में कहा था कि राष्ट्रपति के आदेश पर आपातकाल लगाया गया है। उन्होंने लोगों से नहीं घबराने की अपील की थी। लोग वाकई घबराये नहीं थे बल्कि करीब दो साल तक लड़ते रहे थे। चुनाव में जनता ने अपनी ताकत दिखा दी थी। जनता के नायक जेपी ने इस लड़ाई में जाति तोड़ो का भी नारा दिया और कई लोगों ने नाम के आगे से जातिसूचक सरनेम हटा दिया था। शायद संघर्ष वाहिनी में जाने की यह जरूरी शर्त थी। 1990 में विहार विधानसभा से कांग्रेस का सफाया हो गया और जेपी के सिपहसालार सत्ता पर काबिज़ हुए। हालाँकि जाति की राजनीति करने में इन्हें कोई दिक्कत नहीं थी। जेपी सामाजिक छेत्र में परिवर्तन को सम्पूर्ण क्रांति का एक हिस्सा मानते थे और सत्ताधीश सामाजिक न्याय का फलसफा लेकर आये थे।...