किस पर भारी, ये मुख्तारी?

मुख़्तार अंसारी के कौमी एकता दल का मायावती की बसपा में विलय हो चुका है। मायावती ने 3 सीटें भी दे दी हैं। देखने में ये समझौता बहुत बड़ा नहीं लग रहा पर सभी प्रमुख दल इसे अपने फायदे के लिहाज से देख रहे हैं। बसपा मायावती को यह फायदा हो सकता है कि मऊ सदर सीट से मनोज राय का टिकट काटकर मुख़्तार को देने से बसपा का काडर वोट उसे पूरा मिलेगा। मनोज राय के बसपा का उम्मीदवार बनने के बाद जिस तरह से भूमिहार वोट मनोज के फेवर में जुट रहा था उससे sc वोटर चिंतित हो रहे थे।अब मुख़्तार के आने से उनके सामने कोई दुविधा नहीं है। चूँकि दलित-मुस्लिम संघर्ष का कोई उदाहरण नहीं मिलता। वैसे अंसारी भी मुसलमानों में पिछड़े होते हैं। बीजेपी ऐसा ही अनुमान बीजेपी के रणनीतिकार लगा रहे हैं। उनका मानना है कि मायावती ने भले ही upper cast को सबसे अधिक टिकट दिया हो, लेकिन मुख़्तार अंसारी के बसपा में शामिल होने के बाद उसका यह वोट बैंक मजबूती से बीजेपी के साथ खड़ा होगा। बीजेपी को एक फायदा और दिख रहा है कि ईस्ट यूपी की करीब 20 सीटों पर तो सीधे तौर पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा सपा और बसपा में होगा। सपा मुस्लिम वोट...