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Showing posts from February, 2017

गदहा की यारी में...

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सिंहासन बत्तीसी तक पहुंचने के लिए जिस तरह प्रेम पचीसी के बजाय गदहा पचीसी का सहारा लिया जा रहा है उससे इस भद्र जानवर को कितनी ख़ुशी हो रही होगी या दर्द हो रहा होगा ये फ़िलहाल पता नहीं। इस लौंडा पचीसी पर किसे दुलत्ती पड़ती है, यह तो 11 को पता चलेगा लेकिन फिलहाल तो गर्दभ पुराण का पाठ चालू है। किस गधे की वापसी? कृष्न चन्दर ने गधे पर 3 उपन्यास लिखे थे। 'एक गधे की आत्मकथा' 'एक गधे की वापसी' और 'एक गधा नेफा में'। अब यहाँ से कोई गधा नेफा में नहीं बल्कि नेपथ्य में जायेगा। किस गधे की वापसी होगी, फ़िलहाल तो इसका इंतजार ही ठीक रहेगा। एक लगातार दूसरी बार वापसी के लिये मचल रहा है तो दूसरा 14 साल का वनवास ख़त्म करने को व्याकुल है। गधा और घास गधा गर्मी में मोटा होता है और बारिश के दिनों में दुबला। यह विचित्र है। जब घास नहीं मिलती है तो गधा क्यों मोटा होता है। कहा जाता है कि गर्मी के दिनों में जब वह घास का एक-दो तिनका खाते हुए कई कोस तक चला जाता है और जब पीछे मुड़कर देखता है तो यह सोचकर तृप्त हो जाता है कि उसने इतने कोस की घास चर ली। मारे आत्मसंतुष्टि के उसकी खाल चिकनी ह...

अदब के इस अंजुमन को आदाब

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यह था स्वागत का अंदाज  जप-जाप जोगियों का, नारा कलंदरों का तहजीब महफिलों की और शोर मयकदों का माशूक बंदगी है, माशूक ही खुदा है मंदिर की घंटियों में बोले अदा का जादू सर चढ़ के बोलता है उर्दू जबां का जादू... वहां गायकी और शायरी की महफिल जमी थी, बहस-मुबाहिसों का दौर चल रहा था, मुक्ताकाश मंच और बंद सभागार थे और सर चढ़कर बोल रहा था उर्दू जबां का जादू।और यह सफर दिल्ली के केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र तक लाने-ले जाने वाली फ्री शटल बस में ही शुरू हो जा रहा था। रेख्ता के इस जश्न में शामिल होने जा रहे  लोगों का इस्तकबाल बस में एक वॉलंटियर अदब और नफासत से पेश शेर से करता था और बमुश्किल पांच मिनट के सफर में प्रोग्राम के मिजाज का तआरुफ करा देता था। तहजीब की झलक भी 18 फरवरी को दिखी जब इस बस का एक शीशा टूटकर गिर गया। दिल्ली की मूल सभ्यता से हटकर इस वॉलंटियर ने चेहरे पर चिता का भाव लाकर पूछा था कि किसी को लगी तो नहीं? शाम में इस तरह जगमगा रही थी अदब की महफिल 17 फरवरी को प्रोग्राम के आगाज में भी यह जादू सर चढ़कर बोलता दिखा जब साज की...

बिसाहड़ा में भाजपा का जोर, पूरे दादरी इलाके में मुस्लिम वोट सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ

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बिसाहड़ा में आदर्श पोलिंग सेंटर बनाया गया था और शानदार टेंट, कारपेट, चेयर सभी का इंतजाम था। इसका बावजूद कहीं न कहीं तल्खी भी थी  जिसे लेकर  राणा  संग्राम   सिंह इंटर कॉलेज (यहां मतदान केंद्र था)  का  मेन गेट पूरी तरह नहीं खुला था। साइड का गेट ही लोगों के लिए खोला गया था, जिसमें से एक बार में एक ही आ दमी आ-जा सकता था।  यही मिले थे सुबोध राणा (दाएं)।  दूसरे पोलिंग सेंटरों पर पूरा गेट खुला था। टिकट बंटने से लेकर चुनाव प्रचार चलने तक जहां नोएडा सीट गौतमबुद्ध नगर में सबसे हॉट मानी जा रही थी, वहीं वोटिंग वाले दिन जिले की दादरी सीट पर राजनीतिक पारा सबसे चढ़ा रहा। शनिवार को यहां सीधे-सीधे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था। बिसाहड़ा कांड की वजह से प्रशासन भी इस इलाके में चौकस था। इस सीट के कई बूथों पर मतदाताओं से बात करने पर साफ पता चला कि मायावती के बजाय सपा-कांग्रेस गठबंधन पर मुसलमानों ने भरोसा किया है। दादरी की नई आबादी वाले बूथ पर गठबंधन के प्रत्याशी समीर भाटी का जोर दिखा। हालांकि यह भी कहा जा सकता है कि चूकि समीर वहीं रहते हैं इसल...