कोसने से पहले सोचिए

यह है गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र का दलित मोहल्ला बीचफटा। यहां लोगों ने साफ कहा कि उनके कच्चे मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के हो रहे हैं और वे बीजेपी के अलावा किसी और को वोट नहीं देंगे। चुनाव आयोग ने कई जगहों पर रोक विजय जुलूस निकालने पर लगाई है, लेकिन मातम मनाने पर नहीं, इसलिए पानी पी पीकर कोसिए। लेकिन आपको यह बताना होगा कि 5 साल तक सिवाय कोसने के आपने क्या किया है? यह सवाल कांग्रेस से भी है और लेफ्ट से भी। आप अपने समर्थकों के साथ आभासी दुनिया में मोदी को कोसते रहे। राजस्थान, एमपी और छतीसगढ़ में जीत के बाद आप इतराते रहे लेकिन यह समझ नहीं पाए कि वहां की जनता का गुस्सा इस हार के साथ उतर गया है और वे लोकसभा चुनाव में मोदी के साथ आएंगे। राजस्थान ने तो खुलकर कहा था कि मोदी तुझसे बैर नहीं, रानी तेरी खैर नहीं। आप नारे का मर्म समझने की जगह कोसने में तल्लीन रहे। एनसीआर में इखलाक और जुनैद हत्याकांड हुए। सीपीएम की वृंदा करात की आवाजाही वहां लगी रही। उसी दौरान दिल्ली में एक मुस्लिम लड़की से प्रेम करनेवाले फोटोग्राफर अंकित सक्सेना की हत्या कर दी गई। वृंदा क्या, कोई अदना वामपंथी...