अपना भी एक कॉलेज था



अपना कॉलेज भी अद्भुत था। नाम महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय और पता चरित्रवन बक्सर। हिन्दू रीति से होने वाली शादियों में एक मंत्र आता है जिसमें कन्या के सुहाग और दांपत्य जीवन के चैत्ररथ वन की तरह हरा-भरा रहने की कामना की जाती है। चरित्रवन इसी चैत्ररथ वन का अपभ्रंश माना जाता है। किस्सा यह भी है कि इसी वन में विश्वामित्र ने राम-लक्षमण को यज्ञ रक्षा के लिए रखा था , जहां राम ने ताड़का का वध किया था। चूँकि यह एक पुण्य क्षेत्र था, लिहाज़ा स्त्री हत्या के प्रायश्चित स्वरुप राम को यहां गंगा किनारे रामेश्वरनाथ की स्थापना कर पूजा करनी पड़ी थी। रामरेखा घाट पर यह मंदिर आज भी विद्यमान है।

पहले बक्सर का मुख्तसर परिचय
बक्सर, बिहार का वह जिला जहां से गंगा नदी राज्य में प्रवेश करती है।जहां 1539 में शेरशाह ने हुमायूं को परास्त किया था। जहां 1764 में मेजर हेक्टर मुनरो की सेना के सामने भारत की तीन सम्मिलित शक्तियां परास्त हुई थीं। इतिहास की किताबो में इसे बक्सर या कतकौली की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। बक्सर, जहां राम ने ताड़का का वध करने के बाद पड़ोसी गांव अहिरौली में गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या का उद्धार किया था। अहिरौली से कुछ आगे मंझरिया गांव हैं जहां अर्जुन अवॉर्डी शिवनाथ सिंह रहते थे। 1976 में कनाडा में हुए ओलम्पिक में शिवनाथ सिंह भारत की तरफ से मैराथन में दौड़े थे और 2 घंटे 16 मिनट और 20 सेकंड में दौड़ पूरी कर 11वे नंबर पर रहे थे। यह नेशनल रेकॉर्ड था। 2 साल बाद जालंधर में शिवनाथ सिंह ने यह दौड़ 2 घंटे 12 मिनट में पूरी की। यह नेशनल रेकॉर्ड आज भी कायम है। बक्सर के किले और दिल्ली के लाल किले में समानता है। लाल किले को जॉर्ज फर्नांडिस ने इंडियन सेना के कब्जे से मुक्त कराया तो बक्सर के किले को तत्कालीन डीएम दीपक कुमार ने एसडीएम के चंगुल से।

अब बात कॉलेज की
यह है बक्सर के एमवी कॉलेज की बिल्डिंग। राम यहां कण-कण में हैं। सबूत यह कि कॉलेज के सबसे बड़े हॉल का नाम मानस है। वैसे यहां इंटर से एमए तक की पढाई होती है, लेकिन जब मैं वहां स्टूडेंट था, तब आर्ट्स के लिए मानस समेत सिर्फ 6 रूम थे। इंटर में जो लड़कियां भाई के साथ दाखिला लेने आती थीं वे एग्जाम के दौरान पति के साथ दिखती थी। ग्रैजुएशन में तो कई मां बन जाती थीं फिर कॉलेज को नमस्ते। बिल्डिंग में लेफ्ट साइड पहले और दूसरे पिलर के बीच एक तिलिस्मी कमरा हुआ करता था जिसे सब कॉमन रूम कहते थे। अंदर की बनावट कैसी थी ये तो पता नहीं पर दरवाजे पर एक पर्दा टंगा रहता था और बाहर ईंट पर एक दाई बैठी रहती थी। क्लास टाइम के अलावा लड़कियां उस कमरे में बैठती थी। अगर किसी लड़के ने उस तिलिस्मी कमरे का जायजा लेने की कोशिश की तो बूढी दाई के हाथ में ईंट और जबान पर कह नहीं सकता क्या क्या। एक कमरे में दो-दो विभागों के प्रोफ़ेसर बैठते थे।
कबूतर जा-जा
एमवी कॉलेज का पिछला गेट जंहा खुलता है वहां रानी घाट था। वहां एक रानी का कुआँ है जिसके बारे में कहा जाता है कि रानी इस सुरंग के रास्ते गंगा स्नान करने आती थीं। 1992 की बात है। नहाने तो यहाँ कोई नहीं आता था हम ही लोग यहाँ बैठे रहते थे। कुछ दोस्त तब की सुपरहिट फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ की friend वाली कैप पहन कर कबूतर जा-जा कहने की प्रैक्टिस करते रहते थे। उनके कबूतर तो कहीं नहीं गए लेकिन उनकी कबूतरियां किसी और देस में उड़कर चली गईं। ऊपर कई कमरे बने थे जिनका इस्तेमाल औरते कपड़े चेंज करने के लिए करती होंगी, लेकिन तब तक हेरोइन पीने वालों ने उसे मुफीद ठिकाना बना लिया था।
 
चरित्रवन की संत परंपरा

कहा जाता है कि सतयुग में सिद्धाश्रम में 88 हज़ार ऋषि तपस्या करते थे। कलियुग में यह संख्या उंगलियों पर गिनने लायक रह गई थी। फिर भी चरित्रवन से संत परंपरा खत्म नहीं हुई थी। 1950 के दशक का उत्तरार्ध था। बिहार में चुनी हुई सरकार थी। जिला प्रशासन था। रंगकर्मी थे और भी कई लोग थे लेकिन बक्सर में हायर एजुकेशन का सेंटर खुले यह ख्याल किसी को नहीं था। यह विचार आया वहां रहने वाले ऋषि खाकी बाबा को। खाकी बाबा ने डुमरांव महाराजा से दान में जमीन ली और विश्वामित्र मुनि के नाम पर यह एमवी कॉलेज खुला।  डुमराँव बक्सर जिले में वो जगह है जहाँ मशहूर शहनाई वादक विस्मिल्लाह खान का न सिर्फ जनम हुआ था बल्कि शुरू के 9 साल वे वहां रहे भी थे। खाकी बाबा ने इतना ही नहीं किया बल्कि उन्होंने यह इंतजाम भी किया क़ि एमवी कॉलेज में लड़कियों की ट्यूशन फीस नहीं लगेगी। नारी उत्थान के नाम पर दुकानदारी करनेवाले इससे कुछ सीख सकते हैं।

कुछ और बातें

एमवी कॉलेज की कुछ किंवदंतियां बहुत मशहूर और दिलचस्प थीं। इससे पहले एक और बात। मैंने पिछली पोस्ट में लिखा था यहाँ राम का असर बहुत अधिक है। कॉलेज के हॉल का नाम मानस है। अब आप इसके गेट को गौर से देखिये जहाँ इसका नाम लिखा है। मैंने भी इसे सचमुच का नहीं देखा है। पिक्चर में साफ़ है कि इसकी बनावट बिलकुल धनुष जैसी है। दिखा राम का प्रभाव।
अब बात किंवदंतियों की।
पहला मानस हाल आज तक नहीं भरा भले ही उसमें हिस्ट्री की क्लास हुई हो।
दूसरा साइंस के एक प्रोफेसर पीने के इतने शौकीन हैं कि लैब में राखी स्प्रिट भी पी जाते हैं।
तीसरा यह कि प्रिंसिपल की चेयर के पास दीवार में एक छेद है। यह छेद एक गोली का निशान है जिसे किसी स्टूडेंट ने तत्कालीन प्रिंसिपल पर चलाई थी।

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