राम और कृष्ण


ऐसे विकट मौसम में हुआ था कृष्ण का जन्म

जब भादो की घटाएं गरज रही थीं, यमुना उफान पर थी तब बेड़ियों में जकड़ी देवकी उन्हें कारागृह के अंदर जन्म दे रही थीं। राम का जन्म जब सारी चीजें अनुकूल थीं, तब हुआ था। कृष्ण का जन्म पूरी तरह प्रतिकूल हालात में हुआ था।

राम का जन्म मधुमास में हुआ तो कृष्ण का भादो में। राम मध्य दिवस में जन्मे तो कृष्ण आधी रात में। राम शुक्ल पक्ष में जन्में तो कृष्ण अपने नाम की तरह कृष्ण पक्ष में। राम जन्म के दौरान महल में विरुदावली गाने वाले भाट और चारण मौजूद थे तो मोहन के जन्म के समय कंस के कसाई रूपी बन्दी रक्षक। राम  के जन्म के बाद दशरथ अन्न धन, मोती और माणिक्य लुटा रहे थे तो वसुदेव उस अंधियारी रात में वासुदेव को नन्दलाल बनाने की जुगत में यमुना पार कर रहे थे।

और जन्मने के हालात ने जहां राम को मर्यादित बना दिया, वहीं कृष्ण को उन्मुक्त। राम हर स्थापित नियम को मानते गए, जबकि कृष्ण उसे तोड़ते गए। राम पिता की आज्ञा से वन चले गए जबकि कृष्ण पकड़े जाने पर झूठ बोल गए कि उन्होंने माखन चुरा कर नहीं खाया है। उनके मुंह पर बरबस लपेटा गया था मक्खन। गोपियों संग नृत्य किया, राधा के गांव में कई बार औरत बनकर गए, सुदर्शन चक्र धारी जरासंध के आक्रमण से घबराकर रणछोड़ हो गए आदि आदि। राम सीता के त्याग तक मर्यादित बने रहे और कृष्ण विरह वेदना में राधा समेत गोपियों को छोड़ कर जाने के बाद भी प्रेम के प्रतीक।

राम, कृष्ण, शिव लेख में राम मनोहर लोहिया लिखते हैं, ' कृष्ण हर मिनट में चमत्कार दिखाते थे। उन्होंने सम्भव और असम्भव के बीच की रेखा को मिटा दिया था। राम ने कोई चमत्कार नहीं किया। यहां तक कि भारत और लंका के बीच का पुल भी एक एक पत्थर जोड़ कर बनाया। हालांकि लोहिया एक और बात कहते हैं कि अगर सम्पूर्णता में देखा जाए तो राम ने अपूर्व चमत्कार किया जबकि कृष्ण ने कुछ नहीं। जब राम वन के लिए चले तो वे सिर्फ तीन लोग थे और जब लौटे तो एक बड़ा साम्राज्य बना चुके थे। दूसरी तरफ कृष्ण ने सिवा शासक वंश की एक शाखा से दूसरी शाखा को गद्दी दिलाने के अलावा कुछ नहीं किया। बहरहाल.......

साध्य और साधन को लेकर भी राम और कृष्ण में द्वंद्व है।  कृष्ण साध्य को ऊपर रखते हैं और इसके लिए कर्म के अलावा तर्क भी गढ़ लेते हैं। जयद्रथ वध हो या भीष्म या कर्ण को मारने का मौका, कृष्ण ने उसे जायज़ ठहरा दिया। दूसरी तरफ ऐसे हालात में राम ने बाली को छुपकर तो मार दिया, लेकिन उसके पक्ष में तर्क देने में राम चुप हैं और तुलसी खामोश।

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