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Showing posts from December, 2019

क्यों रघुबर डूब गए?

सरजू ने धारा बदली और रघुबर उसमें डूब गए। ठीक है रघुबर (रघुबर दास) को सरजू (सरयू राय) के कुपित होने का खमियाजा भुगतना पड़ा, लेकिन उनके अनुज लक्ष्मण (प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ) क्यों हारे? रघुबर जिस सूर्यवंश से आते हैं, उसके दिनेश (विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव) पर क्यों ग्रहण लगा? जवाब सीधा नहीं है। घना कुहरा छाया हुआ है। चीजें साफ नहीं दिख रही हैं। चलिए इसका एक कारण पत्थलगड़ी आंदोलन को मानते हैं। आंदोलन का पत्थर जमीन में गड़ता गया और बीजेपी सरकार उखड़ती गई। यह सच है तो फिर उस खूंटी सीट पर भाजपा के नीलकंठ मुंडा कैसे जीते, जहां यह आंदोलन हो रहा था। उसी खूंटी जिले की दूसरी सीट तोरपा पर भाजपा के ही कोचे मुंडा क्यों जीते? जाहिर है कि इसका असर चुनाव में नहीं था। बेरोज़गारी एक कारण हो सकती है। इसका जिक्र रघुबर के कैबिनेट मंत्री के रूप में सरजू राय कई बार कह चुके थे, लेकिन कारणों के रूप में इसकी चर्चा नहीं हो रही। कई लोग बताते हैं कि कई महकमों में कर्मचारी नहीं हैं, वर्कलोड बढ़ता जा रहा है लेकिन बहाली नहीं हो रही। यह रघुबर के खिलाफ अफवाह नहीं थी, बल्कि तल्ख सच्चाई थी, जिस...

CAA -सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला

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इस सरहदी जिले में कम अज़ कम (कम से कम) 5 हज़ार पाकिस्तान से आये शरणार्थी हैं। शायद ही ऐसा कोई मुस्लिम परिवार हो, जिसकी रिश्तेदारी पाकिस्तान में न हो, फिर भी शांति है। CAA को लेकर दिल्ली-लखनऊ की तरह बवाल नहीं है। तारबंदी के बाद उस पार जाना मुमकिन नहीं, फिर भी मलाल नहीं। चौड़ी सड़क है जो आमतौर पर सेना और बीएसएफ के लिए है, गांव इससे जुड़े नहीं हैं, फिर भी कोई शिकवा नहीं। भेड़ और गाय चराने के अलावा रोज़गार नहीं, फिर भी शिकन नहीं। नवंबर से फरवरी तक 6 हज़ार रुपये महीने पर 29 दिन तक ड्राइवर की नौकरी, उस एक दिन की उम्मीद में 29 दिन कब कटते हैं, पता नहीं चलता। यहां लखनऊ-दिल्ली की तरह पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं। और यही शांति की वजह है।  यह न तो अदब का शहर लखनऊ होने का दम भरता है न दिलवालों की दिल्ली होने का दावा करता है।यह जैसलमेर है। कई गांव सड़कों से जुड़े नहीं हैं। लोग दो तीन परिवार के समूह में भी रहते हैं। सिर्फ बिजली का कनेक्शन लेने के लिए उन्हें पते में ढाणी लिखना पड़ता है, क्योंकि इससे कम पर कनेक्शन नहीं मिलता। सड़क चाहिए भी नहीं,  क्योंकि लोगों को लगता है कि बाहर से आये लोग...