देव स्वतंत्र नहीं रहेंगे या मऊ में अरविंद (कमल) खिलाने की रणनीति

अरविंद कुमार शर्मा या एके शर्मा। यह नाम थोड़ी देर पहले चर्चा में आया है। यूपी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद। चर्चा की एक वजह यह भी है कि आईएएस अधिकारी रह चुके शर्मा को जिनके पास न संगठन चलाने का अनुभव है न जनाधार, उन्हें उस राज्य में संगठन में इतना जिम्मेदार ओहदा क्यों दे दिया गया, जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ दिनों से इनका नाम डिप्टी सीएम के लिए आगे किया जा रहा था, जिस पर अब विराम लग गया है। वैसे अरविंद शर्मा की राजनीति में एंट्री भी चौंकाने वाली थी। बीजेपी में शामिल होते ही एमएलसी कैंडिडेट घोषित कर दिए गए थे। गुजरात कैडर के इस पूर्व नौकरशाह को प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है। आज के बदलाव के कुछ कयास हैं। या तो विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र नहीं रहेंगे। टिकट वितरण में केंद्रीय नेतृत्व को जिस नाम पर ऑब्जेक्शन लगवाना होगा, वह अरविंद शर्मा के माध्यम से लगवाया जाएगा। या यह कि अरविंद शर्मा को मऊ सदर से विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया जाए, जहां से मुख्तार अंसारी 2017 में बसपा के टिकट पर ...