क्या कास्ट पॉलिटिक्स की ओर लौट रही है बीजेपी?
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जाटों को कितना साध पाएंगे भूपेंद्र |
यूपी विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कहा जाने लगा था कि बीजेपी पहले जाति यानी कास्ट को धर्म से काउंटर करती थी अब इसे क्लास के हथियार से टक्कर दे रही है। हाल के दिनों में पार्टी ने ऐसे कई फैसले लिए जिससे ऐसा लगने लगा है कि बीजेपी कास्ट पॉलिटिक्स की ओर लौट रही है।
बीजेपी ने यूपी का प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को बनाया है जो जाट हैं। किसान आंदोलन के समय से और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद भी धारणा यही रही कि जाट बीजेपी के खिलाफ हैं। हालांकि इसी साल हुए यूपी विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने हापुड, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर समेत कई जिलों की सभी सीटें जीत ली थी। यह तब था जबकि कहा यह जाता था कि जाट बीजेपी के खिलाफ हैं। जाट पश्चिमी यूपी में प्रभावी हैं, बीजेपी की सीटें कुछ कम हुईं, लेकिन किसान आंदोलन में सिर्फ जाट ही शामिल नहीं थे। बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है और प्रदेश के किसी भी हिस्से से वह अपना अध्यक्ष चुन सकती है लेकिन जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाने के बाद भूपेंद्र चौधरी को यूपी भाजपा का अध्यक्ष बनाने से ऐसा संदेश गया है कि बीजेपी जाटों का भरोसा न खोना चाहती है न ऐसा होता हुआ देखना चाहती है।
प्रदेश में दो लोकसभा के लिए जो उपचुनाव हुए, उनमें एक सीट पूर्वी यूपी में आजमगढ़ की थी। वहां यादव और मुस्लिम वोट प्रभावी माना जाता है। बीजेपी ने वह सीट जीती। इसके बाद 25 जुलाई को कानपुर जिले में एक दिवंगत समाजवादी नेता हरमोहन सिंह यादव की दसवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री का प्रोग्राम बना। पीएम हालांकि वहां नहीं जा सके, लेकिन उन्होंने इसे विडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये संबोधित किया और इसे ट्वीट भी किया। हरमोहन यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में थे और मुलायम सिंह यादव के करीबी भी। उनके नाम पर होने वाले आयोजनों में पहले सपाइयों का जमावड़ा रहता था, इस बार भाजपाइयों का रहा।
इसके बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी ने राजस्थान के जगदीप धनखड़ का चयन किया जो जाट हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी को ऐसा लगता है कि वहां जाटों का समर्थन जरूरी है।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी की स्ट्रैटिजी देखिए। बीजेपी ने चाहे हरियाणा हो, महाराष्ट्र हो, यूपी हो या बिहार, वहां की दबंग ओबीसी जाति के विरुद्ध चुपके से दूसरी जातियों का ऐसा गठजोड़ खड़ा कर दिया जो दिखता नहीं था, लेकिन असरकारक था। हरियाणा में 36 बिरादरी एक चर्चित शब्द है। बीजेपी ने वहां के विधानसभा चुनाव में 35 बिरादरियों को एक बिरादरी के खिलाफ खामोशी से खड़ा कर दिया। यह अलग बात है कि चुनाव केबाद बीजेपी जाट बेस्ड पार्टी के समर्थन से वहां सरकार चला रही है।
बीजेपी ने आयुष्मान योजना, उज्जवला योजना, मुफ्त कच्चा राशन, घर-घर शौचालय, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभा्र्थियों का एक क्लास तैयार किया था और उसके बूते चुनाव में बेहतर परफॉर्म कर रही थी। लेकिन क्या पार्टी को अब अपना यह अस्त्र चूकता दिखाई दे रहा है या फिर वह अपनी क्लास पॉलिटिक्स पर कायम रहते हुए विरोधियों का कास्ट बेस तोड़ना चाहती है?
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