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Showing posts from November, 2022

सिकुड़ रहा है अखिलेश यादव के ‘परिवार’ का दायरा?

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अपर्णा यादव ने इस साल यूपी विधानसभा चुनाव के तुरंत पहले जब बीजेपी जॉइन की थी तब यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अखिलेश अपना परिवार नहीं संभाल पाए। अब कानाफूसी यह हो रही है कि परिवार का सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए क्या मतलब है?  मुलायम सिंह यादव के निधन की वजह से मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। अखिलेश यादव वहां पूरे मनोयोग से  कैंपेन में लगे हुए हैं। लगातार रैलियां कर रहे हैं। इस चुनाव के लिए उन्होंने आने चाचा शिवपाल सिंह यादव के सार्वजनिक रूप से पैर छुए। कहा जाता है कि इस इलाके में शिवपाल यादव का प्रभाव है। इसी समय रामपुर और खतौली विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हो रहे हैं, जहां पार्टी प्रमुख होने के नाते अखिलेश यादव को जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक नहीं पहुंचे हैं। उनका सारा फोकस मैनपुरी सीट पर है। यह तय करना आसान भी है और नहीं भी कि उनका उद्देश्य अपनी पत्नी को चुनाव जिताना है या मुलायम सिंह यादव की विरासत बचाना। इससे पहले आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में इसी परिवार के धर्मेंद्र यादव सपा से लड़ रहे थे। अखिलेश एक दिन भी प्रचार करने नहीं गए। नतीजे आए तो अखिलेश य...

बक्सर की पहचान क्या सिर्फ भगवान राम से है?

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श्रीराम कर्म भूमि यानी बक्सर। आजकल एक यज्ञ भी हो रहा है वहां, अयोध्या से निकली श्रीराम चरण पादुका यात्रा भी पहुंचेगी, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के माध्यम से बक्सर और अयोध्या सीधे जुड़ जाएंगे। लेकिन बक्सर की महत्ता क्या सिर्फ श्रीराम से है? ऐसा कहा जाता है कि सिद्धाश्रम जैसा तीर्थ न कभी हुआ है न होगा। अब सवाल यह है कि सिद्धाश्रम क्या है? सतयुग में जो सिद्धाश्रम था, त्रेता में वह वामनाश्रम, द्वापर में वेदगर्भापुरी और कलियुग में व्याघ्रसर हुआ। बक्सर इसी व्याघ्रसर का अपभ्रंश है। काशी, जिसे दुनिया का प्राचीनतम नगर माना जाता है, उसके बहुत पहले से यह स्थान आबाद था। यह मनोरम स्थान देव-दानव सभी को लुभाता था। शानदार वातावरण, मीठे जल की उपलब्धता और रसीले फलों के वृक्षों से भरा इलाका था यह। बहुत बाद में ऋषियों ने इसे तपस्या के लिए चुना। नारद, उद्दालक, भार्गव, गौतम, च्वयन जैसे ऋषि यहां तप करते थे। यहां नारद मुनि पहले से थे, श्रीराम बाद में महर्षि विश्वामित्र के साथ आए। बक्सर की गौरवमयी यात्रा में श्रीराम एक पड़ाव हैं। शहर में कई जगहों पर श्रीराम के धनुष का आकार के स्वागत द्वार बने हुए हैं, लेकिन स्थानीय ...

बिहार उपचुनाव, नतीजे उम्मीद के मुताबिक, पर संदेश गहरे हैं

बिहार में दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं हुआ। 50 फीसदी से कुछ प्रतिशत अधिक हुए मतदान में सत्ता नहीं बदलती, यह फॉर्म्युला कायम रहा। मोकामा सीट पर अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और गोपालगंज सीट पर दिवंगत विधायक सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी विजयी रहीं। मोकामा में जीत जहां एकतरफा रही, वहीं गोपालगंज में लास्ट राउंड तक रोमांच बना रहा। गोपालगंज सीट पर भाजपा के पक्ष में परिस्थितियां थीं। नहीं तो बीजेपी वहां हार जाती। बीजेपी वहां 1794 वोटों से ही जीती। वहां बीएसपी कैंडिडेट इंदिरा यादव को 8854 मत मिले। इंदिरा यादव तेजस्वी यादव की सगी मामी हैं। उनके नहीं रहने पर यह वोट गठबंधन उम्मीदवार को जाता। एआईएमआईएम के अब्दुल सलाम को 12214 वोट मिले। मुस्लिम वोट बीजेपी को तो मिलने नहीं थे, ये भी राजद कैंडिडेट मोहन प्रसाद गुप्ता को मिलते, लेकिन उनके ये वोट कम हो गए। राजद ने बीजेपी का वैश्य वोट काटने के लिए मोहन गुप्ता को उतारा, यह रणनीति ठीक थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई। वैश्य वोट बीजेपी का आधार वोट माना जाता है। लेकिन बड़ी बात है बीजेपी का वहां जीतना। इस समय बिहार में सभी दल एक गठबंधन मे...