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Showing posts from November, 2017

जाके पैर न फटे बिवाई

सामान्य रूप से पैर टूटना कितनी बड़ी बीमारी है। इसका इलाज सदर अस्पताल में हो सकता है या नहीं? जिस सरकारी अस्पताल में आर्थों का डॉक्टर मौजूद हो, वह क्या ऐसे पेशंट को हायर सेंटर रेफर करेगा? वह भी तब, जबकि पेशंट चाहे तो ऑर्डर जारी कर रूई, बैंडेज और दूसरे सामान का इंतजाम ही नहीं कर सकता, बल्कि कुछ की बहाली भी करा सकता हो। हे राम लेकिन हुआ ऐसा। बाबा गए तो थे भगवान राम का आशीर्वाद लेने, लेकिन मंजिल पर पहुंचकर लड़खड़ा गए। सीढ़ियों पर अपना वजन संभालना मुश्किल हो गया और नतीजा एड़ी के पास वाली हड्डी बुढ़ापे में चटक गई। हालांकि बाबा इसके बाद भी कहते रहे कि रामजी ने और गिरने से रोक लिया। बाबा का भौकाल टाइट है  तो हकीम भी मौके पर मौजूद थे। टांग टूटी थी बाबा की, लेकिन पैर डॉक्टर साहब के कांपने लगे। वजह का तो पता नहीं लेकिन कुछ लोग चुगली कर रहे हैं कि सदर अस्पताल में टूटी हड्डी का एक्सरे करने वाली मशीन महीनों से खराब है। अब कई महीनों से किसी वजनी जीव की हड्डी टूटी नहीं तो घूरहू-कतवारू का क्या एक्सरे करना? उन्हें तो देखकर बताया जा सकता है कि हड्डी टूटी है या नहीं? चूंकि मामल...

एयर इमरजेंसी न लगा दे लिट्टी-भंटा का मेला

अब यह बात स्थापित कर ही दी गई है कि दिल्ली-एनसीआर के आकाश पर छाया प्रदूषण पंजाब में जली पराली की देन है। शुक्रवार से थोड़ी राहत मिलने लगी है यानी पंजाब के किसान पुआल जला चुके ह...

जाने क्यों आकाश में कोहरा घना है

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खेती की जमीन कम होती जा रही है और पुआल जलाने से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के नियंताओं और मौसम वैज्ञानिकों, जलता हुआ पुआल ही है न बढ़ते प्रदूषण की बड़ी वजह? क्योंकि वृक्षारोपण सरकार और ngo करवा ही रहे हैं, नगर निगम की सड़कों की सफाई मशीनों से हो ही रही है। प्रदूषण कंट्रोल करने की योजना बनाने और इसके एवज में सैलरी लेनेवाले अपना काम कर ही रहे हैं। बिल्डर कंस्ट्रक्शन के मानकों से सूत भर भी इधर-उधर  हो ही नहीं रहे हैं। पर्यावरण को लेकर काम करने वाले और इसके लिए सम्मानित होने वाले एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा ही रहे हैं। सड़कों पर जाम न लगे, और एयर प्रदूषण न फैले, इसके उपाय बताने वाले लालाओं ने फुटपाथ पर पार्किंग बन्द कर ही दी है। आपकी मेहनत नदियों की हालत सुधारने के लिए उमा भारती की अगुआई में बने मंत्रालय (अब उमा हटाई जा चुकी हैं) ने गंगा यमुना समेत तमाम नदियों को जिंदा कर ही दिया है। गांव के तालाबों से कब्जा हटाकर उन्हें फिर से लबालब भर ही दिया गया है। जोहड़ कागजों से निकलकर जमीन पर आ गए हैं। राधा फिर यमुना किनारे मटकी लेकर जाने लगी हैं। परिं...