जाके पैर न फटे बिवाई

सामान्य रूप से पैर टूटना कितनी बड़ी बीमारी है। इसका इलाज सदर अस्पताल में हो सकता है या नहीं? जिस सरकारी अस्पताल में आर्थों का डॉक्टर मौजूद हो, वह क्या ऐसे पेशंट को हायर सेंटर रेफर करेगा? वह भी तब, जबकि पेशंट चाहे तो ऑर्डर जारी कर रूई, बैंडेज और दूसरे सामान का इंतजाम ही नहीं कर सकता, बल्कि कुछ की बहाली भी करा सकता हो।
हे राम
लेकिन हुआ ऐसा। बाबा गए तो थे भगवान राम का आशीर्वाद लेने, लेकिन मंजिल पर पहुंचकर लड़खड़ा गए। सीढ़ियों पर अपना वजन संभालना मुश्किल हो गया और नतीजा एड़ी के पास वाली हड्डी बुढ़ापे में चटक गई। हालांकि बाबा इसके बाद भी कहते रहे कि रामजी ने और गिरने से रोक लिया। बाबा का भौकाल टाइट है  तो हकीम भी मौके पर मौजूद थे। टांग टूटी थी बाबा की, लेकिन पैर डॉक्टर साहब के कांपने लगे। वजह का तो पता नहीं लेकिन कुछ लोग चुगली कर रहे हैं कि सदर अस्पताल में टूटी हड्डी का एक्सरे करने वाली मशीन महीनों से खराब है। अब कई महीनों से किसी वजनी जीव की हड्डी टूटी नहीं तो घूरहू-कतवारू का क्या एक्सरे करना? उन्हें तो देखकर बताया जा सकता है कि हड्डी टूटी है या नहीं? चूंकि मामला बाबा का था, इसलिए बच्चे घबरा गए। प्राइवेट सेंटर पर एक्सरे करवाया और क्रैप बैंडेज बांधने के बाद तत्काल राजधानी रेफर कर दिया। बाबा का मन इतने पर भी नहीं भरा तो वहां से बड़ी राजधानी यानी नैशनल कैपिटल चले गए। और बढ़िया इलाज के लिए। वहां पैर पर चढ़ा प्लास्टर गुलाबी से सफेद हो गया।
बाबा की अदा
जब बाबा को नई-नई मुख्तारी मिली थी तब उन्होंने नैशनल कैपिटल के एक अस्पताल में भीड़ लगने की वजह ढूंढ निकाली थी। वे लोग थो उनके गृह राज्य के। बाबा ने फरमान जारी कर दिया कि इन्हें तो यहां घुसने ही मत दो। हर बात में यही पहुंच जाते हैं। लोगों ने मिमियाते हुए कहा कि हम तो उधार-पाइंच करके ही वहां पहुंच पाते हैं, घूमने के लिए क्यों जाएंगे? लेकिन बाबा अपनी बातों पर अड़े रहते हैं। कहा, तुम्हारे लिए तुम्हारे घर के पास ही यह सुविधा मुहैया करवा दूंगा। बाबा ने कुर्सी पर बैठने से पहले  बाकायदा पूजा पाठ करवाया और गंगाजल का छिड़काव करवाने के बाद ही आसन पर विराजे थे। लेकिन लगता है कि कुछ कमी रह गई होगी।
रकीबों का राग
अब रकीबों ने राग अलापना शुरू कर दिया है कि खुद छोटी बीमारी लेकर क्यों वहां पहुंच गए। अरे मूर्खों, तुम अपनी तुलना उनसे कर रहे हो? उनका सेहतमंद रहना इस मुल्क के लिए कितना जरूरी है, तुम्हें अंदाजा है इसका? तुम्हारे यहां रुई दवाई नहीं है तो क्या हुआ,जब तक बैंडेज न आए तब तक इंतजार करो या खरीदकर लाओ। सदर अस्पताल में एक्सरे नहीं हो रहा है तो मशीन ठीक होने का वेट करो। नाटक-सिनेमा और शराब पर पैसे खर्च करते तुम्हें हिचक नहीं होती लेकिन बीमार होने पर तुम्हें फ्री वाले डॉक्टर की ही सेवा चाहिए, उस वक्त प्राइवेट चिकित्सकों के पास जाना तुम्हैं पैसे की बर्बादी क्यों लगती है? इतनी मेडिक्लेम पॉलिसी चल रही हैं, उनसे बीमा करवाओ और पंचतारा अस्पतालों में एडमिट हो जाओ और बाजार में रुपये की तरलता बरकरार रखने में सहयोग दो।
इंतजार का मजा लो
मूढ़मगजों, सुशासन का फंडा समझो। छोटी-छोटी बातों पर मत चिल्लाओ। टूटा पैर लेकर दिल्ली मत जाओ। कमाची बंधवा लो और जब मशीन ठीक हो तो एक्सरे भी करवा लो।





Comments

Popular posts from this blog

सुतल पिया के जगावे हो रामा, तोर मीठी बोलिया

ऐसे सभी टीचर्स को नमन

आज कथा इतनी भयो