एयर इमरजेंसी न लगा दे लिट्टी-भंटा का मेला
अब यह बात स्थापित कर ही दी गई है कि दिल्ली-एनसीआर के आकाश पर छाया प्रदूषण पंजाब में जली पराली की देन है। शुक्रवार से थोड़ी राहत मिलने लगी है यानी पंजाब के किसान पुआल जला चुके हैं। वैसे एक बात अभी तक क्लियर होनी बाकी है कि पंजाब का धुआं पंजाब से चलकर दिल्ली-एनसीआर में ही क्यों छाता है? पंजाब में एयर इमरजेंसी क्यों नहीं लगती?
कल यदि भारत में कहीं भी एयर इमरजेंसी लगती है तो उसके लिए जिम्मेदार बता दिया जाएगा बक्सर (बिहार) वालों को। पौराणिक नगरी बक्सर में कल यानी रविवार को लिट्टी-चोखा का सालाना मेला है और दूर-दूर से हज़ारों लोग आकर गोइठा यानी उपले पर लिट्टी बनाएंगे। इसका धुआं भी दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषित कर सकता है, ऐसा हमारे हवाई जानकर कह सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि चैत्ररथ वन (अब चरित्रवन) में भगवान राम ने जब ताड़का का वध कर दिया तो उसके बाद 5 दिनों तक 5 जगहों पर उत्सव मनाया गया था। उसी का अनुसरण करते हुए लोग 5 गांव में जाते हैं और वहां रात्रि विश्राम भी करते हैं। इस पंचकोसी परिक्रमा के आखिरी दिन बक्सर में लिट्टी खाई जाती है। जिन 5 जगहों पर यह मेला लगता है, उनमें अहिरौली (जहां गौतम ऋषि का आश्रम था), नदाव (जहां नारद मुनि रहते थे), भभुअर (जहां भार्गव ऋषि तपस्या करते थे), उनुवांस (जहां उद्दालक मुनि की कुटिया थी) और बक्सर जहां राम ने ताड़का को मार था।, शामिल हैं।
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