जाने क्यों आकाश में कोहरा घना है

खेती की जमीन कम होती जा रही है और पुआल जलाने से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के नियंताओं और मौसम वैज्ञानिकों, जलता हुआ पुआल ही है न बढ़ते प्रदूषण की बड़ी वजह? क्योंकि वृक्षारोपण सरकार और ngo करवा ही रहे हैं, नगर निगम की सड़कों की सफाई मशीनों से हो ही रही है। प्रदूषण कंट्रोल करने की योजना बनाने और इसके एवज में सैलरी लेनेवाले अपना काम कर ही रहे हैं। बिल्डर कंस्ट्रक्शन के मानकों से सूत भर भी इधर-उधर  हो ही नहीं रहे हैं। पर्यावरण को लेकर काम करने वाले और इसके लिए सम्मानित होने वाले एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा ही रहे हैं। सड़कों पर जाम न लगे, और एयर प्रदूषण न फैले, इसके उपाय बताने वाले लालाओं ने फुटपाथ पर पार्किंग बन्द कर ही दी है।
आपकी मेहनत
नदियों की हालत सुधारने के लिए उमा भारती की अगुआई में बने मंत्रालय (अब उमा हटाई जा चुकी हैं) ने गंगा यमुना समेत तमाम नदियों को जिंदा कर ही दिया है। गांव के तालाबों से कब्जा हटाकर उन्हें फिर से लबालब भर ही दिया गया है। जोहड़ कागजों से निकलकर जमीन पर आ गए हैं। राधा फिर यमुना किनारे मटकी लेकर जाने लगी हैं। परिंदे रसखान की कविता का पाठ कर रहे हैं कि जो खग हौं तो बसेरी करौं मिली कालिंदी कूल कदम्ब की डारन। ग्रीन बेल्ट घास से आबाद हो ही गई है।
आपकी पहल के नतीजे
फिल्टर, आरओ और एयर प्यूरीफायर का बिजनेस बन्द हो गया है। लोग मॉर्निंग वॉक पर जाने लगे हैं। दवा दुकानदारों ने मास्क रखना बन्द कर दिया है। बोतलबंद पानी का कारोबार खत्म हो गया है। स्विमिंग पूल के बजाय लोग नदियों में स्नान करने लगे हैं। बनारस के घाटों पर फिर कोई बिस्मिल्लाह शहनाई का रियाज़ करने लगे हैं।
ये हैं विलन
अपने कमरे में झाड़ू लगाने से पहले पानी का छिड़काव नहीं करते। इनकी हरकतों से ही आकाश में कोहरा घना हो रहा है।

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