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Showing posts from May, 2018

बक्सर के राम और देश का रामायण सर्किट

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प्रस्तावित रामायण सर्किट का रूट मैप प्रस्तावित रामायण सर्किट। रामकथा से जुड़ी जगहों का कॉरिडोर। योजना परवान चढ़ती है या सिर्फ फाइलों की शोभा बढाती है, यह देखना बाकी है। चूंकि बक्सर के लोग नमामि गंगे प्रॉजेक्ट को लेकर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। बक्सर रामकथा के लिहाज से कितना महत्वपूर्ण है और इस शहर में राम का कितना असर है, यह जानना जरूरी है। राम की कहानी कहा जाता है कि विश्वामित्र राम लक्ष्मण खस्ताहाल और बंद हो चुका बक्सर का साउंड एंड लाइट को लेकर अयोध्या से बक्सर आये और यहां चैत्ररथ वन में उनकी शिक्षा दीक्षा और अपनी तपस्या शुरू की। यह वन देव, दानव, साधु, संन्यासियों सबको लुभाता था। राम ने यहां सुबाहु और ताड़का को मार डाला और विश्वामित्र की यज्ञ रक्षा की थी। इसके बाद पड़ोस में स्थित गौतम ऋषि के आश्रम मेँ जाकर शिला बनीं उनकी पत्नी अहिल्या का उद्धार किया था। उसके बाद राम सीता स्वयंवर में हिस्सा लेने मिथिलांचल चले गए थे। आधुनिक बक्सर में चैत्ररथ वन ही चरित्रवन के नाम से मशहूर है। कहा यह भी जाता है कि राम ने जब ताड़का को मार डाला तब उन्होनें पांच गांव की परिक्रमा की थी। ...

गद्दी पा गए गौड़ा के कुमार

जेठ की गर्मी से झुलसी दूब की शिराओं में फिर से प्राण प्रवाह होने लगा है। परिंदे ट्वीट करने यानी चहचहाने लगे हैं, मोरों का फेस फेसबुक पर दिखने लगा है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे भी मारे खुशी के नाच रहे हैं। भाट और चारण विरुदावली गाने लगे हैं, वर्चुअल दुनिया में विचरण करनेवाले प्रगतिशीलों और धर्मनिरपेक्षों को एक्चुअल में आज़ादी का अहसास होने लगा है, एससी-एसटी मामले में दिए फैसले को लेकर कोर्ट से डगमगाई आस्था फिर से कायम हो गई है, अल्लाह की रहमतें बरसने लगी हैं। चुनाव पूर्व गठबंधन बनाकर लड़े दो दलों को सत्ता मिलने वाली है, दोनों को एक दूसरे की नीतियों में यकीन है और यह बात उनके रहनुमाओं ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने वोटरों से कहा भी था। लोकतंत्र की हत्या तो हो ही गई थी, लेकिन अब डेमोक्रेसी की डुगडुगी फिर से बजनेवाली है। जो दो दल सत्ताधीश होने वाले हैं उनमें से किसी पर प्रजातंत्र को द्रोपदी की साड़ी बनाने का आरोप कहां है? इमरजेंसी लगाने और राज्यपालों पर दबाव बनाने का तो हरगिज़ नहीं। बापू बेटे दोनों की किस्मत एक ही कलम से लिखी गई है। दोनों का राजयोग अपने से बड़े दलों के सहयोग से था/है। फ्...

किसे पड़ी है जो जा सुनाए पियारे पी को हमारी बतियां

आज के माहौल में अमीर खुसरो की चर्चा प्रासंगिक लग रही है। फ़ारसी और ब्रज का जैसा संगम उनकी रचना में है, उसमें डुबकी लगाने के बाद लगता है कि दोनों में कितना नैसर्गिक रिश्ता स्थ...