Posts

Showing posts from October, 2019

इस अस्पष्ट जनादेश के संदेश स्पष्ट हैं

छोटा राज्य, बड़ी राजनीति, हरियाणा को लेकर कहा जाने वाला मुहावरा फिर सही साबित हुआ है। मतदान से पहले तक आसानी से जीत रही बीजेपी नतीजों के व्यूह में फंस गई। कांग्रेस को सहानुभूति में वोट मिले या भाजपा से नाराज़ वोटर उसके साथ हो लिए, यह मीमांसा का विषय हो सकता है। शुरू में सिर्फ जजपा किंग मेकर की भूमिका में दिख रही थी, अब कई किंगमेकर हो गए हैं।   कांग्रेस : पार्टी राज्य में न सिर्फ दोबारा जीवित हुई है, बल्कि उसने दमदार वापसी भी की है। चुनाव से ऐन पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का पॉजिटिव असर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ा। इस नतीजे ने पार्टी के अंदर क्षेत्रीय क्षत्रपों का कद बड़ा किया है वही यह भी साबित हो गया कि पार्टी कम से कम हरियाणा के अंदर सिर्फ राहुल-प्रियंका पर निर्भर नहीं है। प्रियंका स्टार प्रचारक होने के बावजूद विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी में संगठन के चुनाव  में उलझी रहीं, वहीं राहुल ने बेमन से प्रचार की रस्मअदायगी की। पार्टी का जिलों में संगठन भी नहीं था। हालांकि इसका एक दूसरा पक्ष भी है और वह यह कि बिना संगठन चुनाव में इतनी सफलता तभी मिलती है जब जनता विकल...

यमुना की अकाल मौत

Image
दिल्ली में आईटीओ के पास मृत यमुना यमुना ने अपने भाई यमराज से सभी प्राणियों से मौत का भय खत्म करने या आशीर्वाद मांगा तो यमराज ने इससे इनकार कर दिया। पुनः यमुना ने यह वर मांगा कि भाई दूज के दिन जो यमुना में स्नान करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इस तरह यमुना ने मानव जाति को अकाल मृत्यु से मुक्ति का प्रयास किया। और बदले में मनुष्यों ने क्या किया? यमुना की ही अकाल मौत का इंतज़ाम कर दिया। कुछ दिन पहले ब्रज 84 परिक्रमा लगा रहे दो श्रद्धालु हरियाणा-यूपी सीमा पर यमुना के जल का आचमन कर अकाल मौत को प्राप्त हो चुके हैं। नमामि गंगे परियोजना भी अभी इसमें प्राण यानी ऑक्सीज़न का संचार नहीं कर सकी है।

महाभारत और भाजपा

महाभारत काल में दुर्योधन ने दो बड़ी गलतियां की। पहली बार कृष्ण की बात नहीं मानकर और दूसरी बार कृष्ण की बात मानकर। जब कृष्ण ने कहा कि पांडवों को सिर्फ पांच गांव दे दो तब उसने कृष्ण की नहीं सुनी थी। दूसरी बार जब वह गांधारी के सामने बिना कपड़ों में जा रहा था, तब कृष्ण ने उसे ऐसा करने से रोका औऱ उसने यह बात मान ली, जो उसकी मौत का कारण बनी। कुरुक्षेत्र के सत्ता संग्राम में बीजेपी ने भी दो गलतियां की और वह सामान्य बहुमत से पीछे रह गई। एक तो उसने अलोकप्रिय हो चुके मंत्रियों-रामबिलास शर्मा, कविता जैन, कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ जैसे लोगों को टिकट दिया, जिनका हारना तय था। दूसरा उसने अपने उन लोगों को टिकट नहीं दिया जो या तो जीत गए या जिनकी वजह से बीजेपी का कैंडिडेट भी नहीं जीत सका और वे खुद भी हार गए। जैसे-पृथला से नयनपाल रावत, पुन्हाना से रहीश खान और रेवाड़ी से रणधीर कापड़ीवास। अब बीजेपी को जजपा के साथ का दोहरा फायदा होगा। एक यह कि अब सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाटों के सबसे बड़े नेता नहीं रह जाएंगे। जाटों की निष्ठा हुड्डा और चौटाला में बंट जाएगी। इस विधानसभा के चुनाव...

रोम पोप का, रेवाड़ी किस गोप का?

Image
गुड़गांव के रास्ते जाने पर साबी नदी का यह पुल पार कर ही रेवाड़ी जा सकते हैं बरसों पहले बिहार के मधेपुरा से लालू यादव और शरद यादव चुनाव लड़ते थे और नारा लगता था रोम पोप का, मधेपुरा गोप का। आज हरियाणा के रेवाड़ी में उसी लालू के दामाद चिरंजीव राव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। मतदाता भले मुखर नही हो रहा हो लेकिन खामोश हवाओ से यही सदा सुनाई देती है कि रेवाड़ी किस गोप का? शरद यादव इस बार कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं।  जहां मैं खड़ा हूं, उसके पीछे साबी नदी के बहाव क्षेत्र के अवशेष हैं। राजस्थान से निकलकर रेवाड़ी की सरहद से होकर गुजरने वाली साबी नदी 40 साल से सूखी है। कभी यह नदी बरसात में लबालब रहती थी। कांग्रेस को देखें तो उसकी हालत साबी नदी जैसी हो रही है। लगातार 5 बार यहां से जीतकर मंत्री बने कैप्टन अजय यादव विधानसभा के पिछले चुनाव में तीसरे नम्बर पर चले गए थे। फिर वह मई में हुआ लोकसभा का चुनाव भी हारे। चिरंजीव राव इन्हीं के बेटे हैं। राजस्थान से बहकर रेवाड़ी आने वाली साबी नदी सूख चुकी है। क्या राजस्थान विधानसभा से कांग्रेस के विजय की जो हवा बही थी, कांग्रे...