रोम पोप का, रेवाड़ी किस गोप का?
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गुड़गांव के रास्ते जाने पर साबी नदी का यह पुल पार कर ही रेवाड़ी जा सकते हैं |
बरसों
पहले बिहार के मधेपुरा से लालू यादव और शरद यादव चुनाव लड़ते थे और नारा
लगता था रोम पोप का, मधेपुरा गोप का। आज हरियाणा के रेवाड़ी में उसी लालू के
दामाद चिरंजीव राव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। मतदाता भले
मुखर नही हो रहा हो लेकिन खामोश हवाओ से यही सदा सुनाई देती है कि रेवाड़ी
किस गोप का? शरद यादव इस बार कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं।
जहां
मैं खड़ा हूं, उसके पीछे साबी नदी के बहाव क्षेत्र के अवशेष हैं। राजस्थान
से निकलकर रेवाड़ी की सरहद से होकर गुजरने वाली साबी नदी 40 साल से सूखी है।
कभी यह नदी बरसात में लबालब रहती थी। कांग्रेस को देखें तो उसकी हालत साबी
नदी जैसी हो रही है। लगातार 5 बार यहां से जीतकर मंत्री बने कैप्टन अजय
यादव विधानसभा के पिछले चुनाव में तीसरे नम्बर पर चले गए थे। फिर वह मई में
हुआ लोकसभा का चुनाव भी हारे। चिरंजीव राव इन्हीं के बेटे हैं। राजस्थान
से बहकर रेवाड़ी आने वाली साबी नदी सूख चुकी है। क्या राजस्थान विधानसभा से
कांग्रेस के विजय की जो हवा बही थी, कांग्रेस उसके झोंके को यहां बरकरार रख
पाएगी?
रेवाड़ी की सीमा के
पास साबी नदी के पुल पर तीन रास्ते हैं। जिनमें एक बन्द हो चुका है जबकि
दो अन्य वन वे हैं। गुड़गांव से जाते हुए पुल पार कर रेवाड़ी में जाइये तो
वहां भी मुख्य मुकाबला तीन दलों में दिखता है। bjp के सुनील मूसेपुर (यादव)
भाजपा के बागी और निर्दलीय रणधीर कापड़ीवास (यादव) और कांग्रेस के चिरंजीव
राव (यादव)। इसलिये इलाका सिर्फ यह जानना चाहता है कि रेवाड़ी किस गोप का?
कहा
जाता है कि साबी नदी जब सूखने लगी तो उसके बहाव क्षेत्र में कई लोगों ने
अतिक्रमण कर लिया, साबी खामोश रही। उसने विद्रोही तेवर नहीं दिखाया, लेकिन
एक अन्य यादव की नाक की लड़ाई में जब कापड़ीवास टिकट से वंचित कर दिए गए, तो
उन्होंने साबी से इतर बागी तेवर अपनाया और निर्दलीय मैदान में उतरे हैं।
सुनील मूसेपुर की जीत या हार उनसे अधिक एक अन्य यादव राव इंद्रजीत की सफलता
या असफलता होगी।
इन सबसे इतर स्वराज इंडिया की कैंडिडेट मंजू बाला भी मजबूत दावेदारी कर रही हैं। मंजू बाला रेवाड़ी की जिला परिषद अध्यक्ष भी हैं। पहले इन्हें राव इंद्रजीत खेमे का माना जाता था लेकिन बीच में यह जजपा में चली गई थीं।
रेवाड़ी को पीतल नगरी का भी दर्जा हासिल है। क्या सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक से उसे उसका पुराना रुतबा हासिल होगा?
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