यह बीजेपी की स्ट्रैटिजी है

हरियाणा में विरोधी माने जाने वाले जाट बेस्ड जनतांत्रिक गठबंधन पार्टी (जजपा) के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र में विरोधी एनसीपी के साथ सरकार बनाने का दावा कर दिया। साथ ही सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ भी ले ली।
बीजेपी की रणनीति को समझिए। उसने पहले कई राज्यों में ऐसा किया कि स्थानीय लेवल पर दबंग जाति या जातियों का जो दल था, उसके विरोध में चुनाव लड़ा। यह दबंगई कई कारणों से है जिनमें से एक जनसंख्या भी है। उस आधार पर ये जातियां इतराती हैं और चुनाव में खुद को प्रभावशाली बताती हैं। बीजेपी ने बिहार और यूपी में यादवों के खिलाफ कम आबादी वाली जातियों को खामोशी से एकजुट कर दिया और यह प्रतिशत यादवों और उनकी मित्र जाति की संख्या से अधिक हो गया। जो लोग विभिन्न कारणों से इन जातियों के साथ ईजी फील नहीं करते थे, उन्हें बीजेपी ने एक प्लैटफॉर्म दिया। दोनों राज्यों में बीजेपी हुकूमत में है।
हरियाणा राज्य की स्थापना के मूल में ही जाट अस्मिता है। जाट इस राज्य पर अपनी चौधराहट समझते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि इस औद्योगिक राज्य में दूसरे राज्यों से आए लोगों की अच्छी-खासी संख्या है और उनके पास वोटर कार्ड भी हैं। इसके अलावा 1947 में बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से आए लोगों की बड़ी आबादी  भी इस राज्य में है। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पूर्वज भी पार्टिशन के बाद यहां आए। जाटों की आबादी राज्य की कुल आबादी की एक चौथाई बताई जाती है। बीजेपी ने यहां भी बाहर से आए लोगों (रोजगार की तलाश में और बंटवारे के बाद आए) के वोट से यहां पिछली बार सरकार बनाई। इस बार भी इन दोनों कैटिगरी से उसे वोट मिले थे। चुनाव के बाद बीजेपी ने जाट आधारित जजपा के सहयोग से सरकार बना ली। अब कुछ न कुछ जाट वोट बीजेपी के पाले में जरूर आएगा और जाटों के विरोध में बीजेपी से जुड़े समूह इसका बुरा भी नहीं मानेंगे।
यही फॉर्म्युला महाराष्ट्र में अपनाया गया है। मराठा क्षत्रप शरद पवार के विरोध में चुनाव लड़ने के बाद भाजपा ने उनकी ही पार्टी के साथ मिलकर सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। बीजेपी के पास अपने परंपरागत वोट तो है ही, अगर मराठा वोट भी उसे एनसीपी की वजह से थोक में उसके साथ चला आया तो उसे घेरना कांग्रेस या शिवसेना के लिए आसान नहीं होगा।
फौरी तौर पर भले यह दिख रहा हो कि दुष्यंत चौटाला के पिता सजायाफ्ता मुजरिम हैं और शपथ ग्रहण के दौरान उन्हें तत्काल रिहाई मिल गई थी और वह बेटे को डिप्टी सीएम की शपथ लेते देखने के लिए भी मौजूद थे। चर्चा यह भी है कि कानूनी मदद के लिए दुष्यंत ने बीजेपी से मित्रता की हो। यही हाल महाराष्ट्र में है। राज्य के नए डिप्टी सीएम अजीत पवार करोड़ों के कई घोटाले में घिरे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि रहम पाने के लिए उन्होंने बीजेपी से गलबहियां की है, लेकिन बीजेपी का मकसद इससे कहीं अधिक दिख रहा है।

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