गुप्तेश्वर पांडे को हड़बड़ी क्यों थी वीआरएस की?

बिहार पुलिस के डीजी रहे गुप्तेश्वर पांडे को वीआरएस लेने की इतनी हड़बड़ी क्यों हो गई थी? रिटायरमेंट के बाद वह आराम से एमएलसी बन सकते थे, यदि उन्हें विधायक ही बनने का शौक था। बिहार में विधान परिषद तो है ही। दूसरी बात यह कि एक डीजीपी के कद के लिहाज से विधानसभा का चुनाव छोटा होता है, क्योंकि वह जीतते भी हैं तो मुख्यमंत्री तो नहीं बनेंगे। गुप्तेश्वर पांडे के गृह जिले बक्सर के एक अन्य आईपीएस बीडी राम, जो झारखंड के पुलिस चीफ रह चुके हैं, पलामू से सांसद हैं। खुद गुप्तेश्वर पांडे 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके थे। जेडी यू से शिवानन्द तिवारी को निकाले जाने के बाद पार्टी में ऐसा कोई ब्राह्मण चेहरा नहीं बचा था, जिसे प्रदेश भर में लोग जानते हों। दूसरी तरफ, राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा पार्टी में ब्राह्मण नेता की कमी पूरी कर रहे हैं। राजद ने उन्हें पार्टी का प्रवक्ता भी बनाया है और हाल ही में वह राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार भी बने थे। शिवानन्द तिवारी के बेटे राहुल तिवारी राजद के टिकट पर शाहपुर से विधायक हैं। सासाराम लोकसभा क्षेत्र की करगहर विधानसभा सीट को ल...