चर्चा में भाला
टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो में भारत के नीरज चोपड़ा को स्वर्ण पदक मिलने के बाद भाला पहली बार चर्चा में है। महाभारत काल में पांडु पुत्र युधिष्ठिर का यह प्रिय हथियार था और कहा जाता है कि वह भाला युद्ध में प्रवीण थे। हालांकि उससे पहले रामायण काल में भाले का जिक्र नहीं आता। टीवी धारावाहिकों में रावण के सैनिक जरूर भाले के साथ दिखते हैं, लेकिन वह आधुनिक ब्याहघरों से प्रभावित लगता है जहां दो लोग राजतंत्र के जमाने की वेशभूषा में भाला लेकर खड़े रहते हैं।
श्याम नारायण पांडेय ने काव्य ‘हल्दी घाटी’ में निर्जीव हथियारों में भी प्राण प्रतिष्ठा कर दी थी। कई जगह उन्होंने भाले का जिक्र किया है। प्रथम सर्ग में ही जब महाराणा प्रताप अपने भाई शक्ति सिंह के साथ शिकार के लिए चले तो श्याम नारायण पांडेय लिखते हैं -
राणा भी आखेट खेलने, शक्त सिंह के साथ चला
पीछे चारण, वंश पुरोहित, भाला उसके साथ चला
और उसी आखेट क्षेत्र में जब दोनों किसी कारणवश आमने-सामने तन गए तो कवि ने लिखा -
क्षण-क्षण लगे पैंतरा देने, बिगड़ गया रुख भालों का
रक्षक कौन बनेगा अब इन, दोनों रण मतवालों का
कई जगह जिक्र के बाद आता है हल्दी घाटी का द्वादश सर्ग जिसमें उसे ऐतिहासिक युद्ध का वर्णन है और आज चेतक की लोकप्रियता की एक वजह यह सर्ग भी है। वहा श्याम नारायण पांडेय लिखते हैं -
तनकर भाला भी बोल उठा, राणा मुझको विश्राम न दे
बैरी का मुझसे हृदय गोभ, तू मुझे तनिक आराम न दे
और
घोड़ा कहता था मान कहां, भाला कहता था मान कहां
राणा की लोहित आंखोंं से, रव निकल रहा था मान कहां
और
जो साहस कर बढ़ता उसको, केवल कटाक्ष से रोक दिया
जो वीर बना नभ बीच फेंक, बरछे पर उसको रोक दिया
नीरज के ओलंपिक पदक जीतने के बाद यह कविता भी चर्चा में है -
द्वंद्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए
तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए
आजादी के बाद ग्रामीण भारत में भाला सुरक्षा और आक्रमण का भरोसेमंद और घातक हथियार था। किसान आमतौर पर बड़ी लाठियों में इसे लगाते थे जबकि आदिवासी इलाकों में इसे छोटे डंडों में लगने का फैशन था। चूंकि इसे पकड़कर और फेंककर दोनों तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है, इसलिए शिकार करने में इस्तेमाल होने वाला भाला छोटे डंडों में ही लगाया जाता था। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि पेड़ पर छुपे रहने के दौरान भाला भी पत्तों में छुप जाए। वैसे इन तमाम गुणों के बावजूद महाराणा प्रताप को छोड़कर किसी अन्य राजा ने भाले को प्राथमिक हथियार बनाया हो, ऐसा जिक्र कहीं नहीं मिलता। तलवार और तीर-धनुष सबकी पसंद थे, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि तलवार या तीर-धनुष को कैरी करने में हाथ फ्री रहते हैं, जबकि भाले के साथ ऐसा नहीं होता।
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