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Showing posts from 2023

राजस्थान से हरियाणा का मेवात क्षेत्र साधेगी बीजेपी!

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  पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने सबको चौंकाया, वैसे ही यदि पार्टी पहली  बार विधायक बनीं नौक्षम चौधरी को मंत्री बना दे या कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे तो भले यह चौंकाने वाला फैसला लगे, लेकिन मेवात इलाके में हिंदू वोटों को एकजुट रखने वाली स्ट्रैटिजी की तरह देखा जाना चाहिए। मेवात के राजस्थान में पड़ने वाले हिस्से की कामां सीट के बहाने बीजेपी पहले पूरे मेवात इलाके और हरियाणा नौक्षम का राजनीतिक इस्तेमाल कर सकती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में नौक्षम चौधरी नूंह जिले की पुन्हाना सीट से चुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं। यह उनका पैतृक इलाका है। बीजेपी ने पुन्हाना से सटी राजस्थान की कामां सीट पर नौक्षम पर दांव लगाया और पार्टी की यह चाल सफल रही। कामां का यह संदेश नूंह तक न पहुंचे ऐसा नहीं हो सकता। नौक्षम दिल्ली यूनिवर्सिटी के अलावा विदेश में भी पढ़ी-लिखी हैं, फर्राटेदार इंग्लिश बोल सकती हैं। प्रभावशाली व्यक्तिव है। पार्टी उन्हें कांग्रेस की प्रियंका गांधी के मुकाबले लॉन्च भी कर सकती है। नौक्षम चौधरी पढ़ी- लिखी हैं और एससी हैं। बीजेपी के पास यह ए...

नौवीं फेल पर हंगामा है क्यों बरपा?

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पीके अपनी पब्लिक मीटिंग में अक्सर कहते हैं कि लालू यादव अच्छे पिता हैं, जो अपने नौवीं फेल बेटे के मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर को लेकर राजद प्रमुख लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने जिस लहजे में टिप्पणी की है, उसका कहीं से समर्थन नहीं किया जा सकता। न शब्दों की न इरादे की। रोहिणी ने एक्स पर पोस्ट किया, प्रशांत किशोर के कितने बाबूजी हैं? उन्होंने पांच-छह नेताओं के नाम लिखे और साथ में यह भी जोड़ा कि ये लोग बारी-बारी से प्रशांत किशोर के बाबूजी रहे हैं। रोहिणी ने यह प्रतिक्रिया पीके के उस बयान पर दी है जिसमें उन्होंने तेजस्वी यादव को नौवीं फेल बताते हुए कहा था कि लालू यादव आपके बाबूजी हैं, आपके बाबूजी की पार्टी है तो कोई भी नेता बन जाएगा। गौर करने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव के जैविक पिता की बात कही थी, गॉडफादर की नहीं। और उसके जवाब में रोहिणी ने जो पोस्ट किया है, कभी राहुल गांधी इसके बाबूजी, कभी अभिषेक बनर्जी इसके बाबूजी, कभी जगन रेड्डी इसके बाबूजी तो कभी स्टालिन इसके बाबूजी। अभी फिर से इसने सबसे पहले वालों को अपना बाप बना...

उपेक्षित क्यों हो रहा है लोकपर्व पिड़िया?

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सामूहिक रूप से पिड़िया के गीत गाते हुए सूर्य के उगने से पहले जलाशयों तक जाना और झूमर गाते हुए लौटना, उसके पहले भाई दूज के दिन पिड़िया लगाना, कार्तिक पूर्णिमा के दिन सोरहियाना या दोहराना और अगहन शुक्ल पक्ष की एकम तिथि को निर्जला व्रत कर शाम में शांत (Pin Drop silence) माहौल में रसियाव खाना, उस दौरान जरा-सी भी आवाज होने पर गुड़ और नए चावल का बना यह व्यंजन छोड़कर उठ जाना, अगली सुबह गीत गाते नदियों-तालाबों तक जाना और लड़कियों औरतों का आपस में फांड़ (आंचल) या मुट्ठी बदलना। शुरू के पंद्रह दिन छोटी और बाद के पंद्रह दिन बड़ी कहानी सुनना। गतिशीलता और उपभोक्तावाद के इस दौर में भोजपुरीभाषी इलाकों का भाई-बहन का यह त्योहार लुप्त होता जा रहा है।  इसी दौरान मैथिली भाषी इलाकों में भाई-बहन के प्यार का त्योहार सामा-चकेवा मनाया जाता है, जिसकी हनक बरकरार है। भाई दूज के दिन जिस गोबर से गोधन की प्रतिकृति बनाई जाती है, उसी गोबर से लड़कियां-औरतें पिड़िया लगाती हैं। एक लड़की गोबर की पांच पिंडिया दीवार पर बनाती है। फिर कार्तिक पूर्णमा के दिन उसे दोहराती हैं। एक युवती अपने एक भाई के लिए 16 पिं...

नमो भारत ट्रेन और नारी शक्ति

  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गाजियाबाद में देश की पहली रैपिड रेल ‘नमो भारत’ को हरी झंडी दिखाई और इसके तत्काल बाद आयोजित जनसभा में नवरात्र के दिनों में इसे शक्ति से जोड़ा। प्रधानमंत्री ने खासतौर पर नारी शक्ति और देश की तकनीकी शक्ति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नवरात्र में शुभ कार्य की  परंपरा है। उन्होने मां कात्यायनी के आशीर्वाद की चर्चा की। आगे पढ़ना चाहते हैं तो यह लिंक क्लिक करें https://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/unhad/discussion-of-navratri-namo-bharat-train-and-shakti/

ड्रीम वैली प्रोजेक्ट सिर्फ सपना ही रहेगा?

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ग्रेटर नोएडा टेक जोन 4 में ड्रीम वैली की निर्माणाधीन साइट पर हुए हादसे में आठ मजदूरों की मौत हो गई। हादसा शुक्रवार को हुआ था, चार ने उसी दिन दम तोड़ दिया जबकि जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराए गए चार अन्य ने अगले दिन शनिवार को। मरने वालों में यूपी-बिहार के मजदूर थे। यह प्रॉजेक्ट 2009 में लॉन्च हुआ था और इसे लेकर आया था आम्रपाली बिल्डर। दूसरी परियोजनाओं से कुछ सस्ता रेट था सो बुकिंग जबरदस्त हुई। कई बैंकों ने इस परियोजना में एग्रेसिवली लोन किया। नोएडा में इसका दफ्तर था, जहां पेमेंट देने के बाद लोग रसीद लेने जाते थे, मेले सा नजारा रहता था। बाद में बिल्डर दिवालिया हो गया, जेल चला गया और इस प्रोजेक्ट का नाम सिर्फ ड्रीम वैली कोर्ट रिसीवर ने रख दिया। इसके जो टावर 18 तक के थे, उन्हें बढ़ाकर 22 फ्लोर कर दिया गया। इस आधार पर कि मुआवजे का पैसा देने के लिए अतिरिक्त रकम की जरूरत है। परियोजना में अधिकतर उन्हीं लोगों ने बुकिंग कराई थी, जो किसी तरह एनसीआर में अपनी छत चाहते थे। न उनकी इससे निकलने की हैसियत थी, न व्यक्तिगत स्तर पर कोर्ट कचहरी करने की। फ्लोर में बदलाव होने पर भी बैंकों ने फ्लेक्सी ...

गर ये दीवारें नहीं होतीं तो नल्हड़ में उस दिन और बुरा होता

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नूंह के नल्हड़ मंदिर से निकली जलाभिषेक यात्रा पर पथराव, फायरिंग और आगजनी को भले एक हफ्ता हो गया हो, कर्फ्यू में ढील एक घंटे और बढ़ा दी गई हो, लेकिन जले हुए दरखत, टूटी हुई गाड़ियां, साइबर थाने की ध्वस्त दीवार, चौराहों पर मौजूद रैपिड एक्शन फोर्स और मंदिर में डेरा डाले आईटीबीपी के जवान, शांत पड़ा दिल्ली अलवर हाइ वे  और बंद पड़े बस डिपो के गेट इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अभी हालात करीब करीब वैसे ही हैं, जैसे 31 जुलाई को बवाल के बाद बने थे। आज सावन की सोमवारी है, भोले के भक्तों का पसंदीदा दिन। नल्हड़ मंदिर जाने वाले उस तिराहे पर, जहां सिटी हॉस्पिटल है, वहां हरियाणा पुलिस के जवान खड़े हैं, बैरिकेडिंग भी हुई है। वे पूरी तस्दीक कर, रजिस्टर में नाम पता, गाड़ी और मोबाइल नंबर नोट करने के बाद ही आगे जाने दे रहे हैं। यहां अतिक्रमण पर जो बुलडोजर चला है, उसका मलबा अब भी है। यहां से पहाड़ी की तलहटी में, हरे भरे खेतों के बीच बल खाती सड़क ले जाती है शहीद हसन खां मेवाती मेडिकल कॉलेज और वहां से दाहिने वाली सड़क थोड़ी ऊंची होकर जाती है, नलहड मंदिर की ओर। यहां भी अतिक्रमण विरोधी एक्शन के निशान हैं, ले...

राहुल गांधी को धान बोना है तो पहले नर्सरी बनानी होगी

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हरियाणा की धरती धान की खेती के लिए नहीं बनी है, लिहाजा शनिवार को सोनीपत में की गई धान की रोपाई वोटों और सीटों में कितना तब्दील होगी, यह देखने लायक होगा। यहां राज्य सरकार जमीन की उर्वरता और ग्राउंड वॉटर लेवल बचाए रखने के लिए सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि उन किसानों को देती है, जो अपने खेतों में धान नहीं बोते। धान की सफल खेती के लिए आमतौर पर पहले उसकी नर्सरी बनाई जाती है। फिर उसमें जब पौधे बालिश्त भर के हो जाएं तो उन्हें वहां से जड़ समेत उखाड़ कर घुटनों तक पानी में डूबे खेतों में लगाया जाता है। राजनीतिक सन्दर्भ में आप नर्सरी को संगठन और फसल को चुनाव लड़ने वाले नेताओं के रूप में देख सकते हैं। हरियाणा कांग्रेस की नर्सरी प्रदेश में कई साल से बंजर पड़ी है। लोकसभा और विधानसभा के कई चुनाव पार्टी ने बिना संगठन के ही लड़ा। आज की डेट में पार्टी का लोकसभा में प्रदेश से कोई नुमाइंदा नहीं है। दूसरी तरफ राज्य विधानसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या के लिहाज से बेहतर हालात में है और राज्य का प्रमुख विपक्षी दल है। इसी द्वंद्व में पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि धान बोने के लिए नर्सरी तैयार करनी ...

अतीक बना अतीत

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की जब हत्या की गई तो वे मीडिया को बाइट दे रहे थे। इसी दौरान किसी ने सवाल किया कि बेटे के जनाजे में नहीं गए? अतीक ने जवाब दिया  कि नहीं ले गए तो नहीं गए। ये उसकी जुबान से निकले आखिरी शब्द थे। इसके बाद तत्काल नजदीक से उसके सिर में गोली मारी गई। इतने नजदीक से कि उसकी पगड़ी हवा में उछल गई और अतीक नीचे गिर गया। अतीक के दाहिने हाथ में हथकड़ी थी और उसी के दूसरे छोर से अशरफ का बायां हाथ बंधा था। अतीक गिरा और उसके वजन से अशरफ भी, इसके बाद बर्स्ट फायरिंग हुई और अतीक और अशरफ अतीत हो गए। हत्या के तत्काल बाद हत्यारों ने हाथ उठाकर सरेंडर पकर दिया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उस वक्त अशरफ कह रहा था कि मेन बात है कि गुड्डू मुस्लिम .... यूपी में 1989 का विधानसभा चुनाव था। इलाहाबाद पश्चिमी सीट पर अतीक और कभी उसके आपराधिक गुरु रहे चांद बाबा आमने--सामने थे। वोटिंग हो चुकी थी, नतीजे आने ही वाले थे। इलाहाबाद की आपराधिक संस्कृति के मुताबिक चांद बाबा बमबाज था। उसे सूचना मिली थी कि अतीक के लोग उसके इलाके में हैं। गैंगवॉर हुई और जब बम के धुएं का गुबर छंटा तो चांद बाबा की ल...

बिहार में क्यों भिड़े हैं OBC के सवर्ण?

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वर्ण व्यवस्था में जिस तरह चार वर्ण होते हैं, उसी तरह ओबीसी और दलित जातियों में भी यह सिस्टम पाया जाता है। पिछड़ों और दलितों के अपने सवर्ण और पिछड़े होते हैं। बिहार की बात करें तो यादव, कुर्मी और कोइरी (कुशवाहा) ये ओबीसी के सवर्ण हैं और  जाटव-पासवान दलितों के। राजनीतिक या दूसरे तरीके की महत्वाकांक्षा इनके अंदर इतनी अधिक है कि ये आपस में एक दूसरे का नेतृत्व स्वीकार नहीं कर पाते। लालू यादव को कभी लव-कुश (नीतीश कुमार का दिया नाम) ने नेता नहीं माना तो अहीरों ने नीतीश कुमार या उपेंद्र कुशवाहा को। अपने-अपने जातीय गौरव बोध के साथ ये एक-दूसरे के पास तो आए, लेकिन एक नहीं हो पाए। नीतीश कुमार ने बहुत पहले कहा था कि कोइरी-कुर्मी एक हैं, इनमें आपस में शादी-व्याह का भी रिश्ता होना चाहिए।  लेकिन यह सामाजिक बदलाव आज तक नहीं आया। जो जातीय संरचना है, उसमें कुर्मी को बड़ा और कुशवाहा को छोटा भाई माना जाता है। कहा जाता है कि बहुत पहले सर छोटूराम और उसके बाद चौधरी चरण सिंह ने अहीर-जाट और गुर्जर को एक कर अजगर समुदाय बनाने की नाकाम कोशिश की थी। जानकार बताते हैं कि इस अजगर समुदाय में राजपूतों को भी रखने क...