नौवीं फेल पर हंगामा है क्यों बरपा?
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पीके अपनी पब्लिक मीटिंग में अक्सर कहते हैं कि लालू यादव अच्छे पिता हैं, जो अपने नौवीं फेल बेटे के मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। |
गौर करने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव के जैविक पिता की बात कही थी, गॉडफादर की नहीं। और उसके जवाब में रोहिणी ने जो पोस्ट किया है, कभी राहुल गांधी इसके बाबूजी, कभी अभिषेक बनर्जी इसके बाबूजी, कभी जगन रेड्डी इसके बाबूजी तो कभी स्टालिन इसके बाबूजी। अभी फिर से इसने सबसे पहले वालों को अपना बाप बना रखा है, सिर्फ नाम उजागर नहीं कर पा रहा है।
बहुत माफी के साथ लिखना चाहता हूं कि अगर किसी के कई बाबूजी हैं तो यह उस महिला के चरित्र पर उंगली उठाना है, जो उसकी मां है। क्या रोहिणी इतनी-सी बात भी नहीं समझतीं? राजनीतिक विरोधियों के लिए भाषा की शिष्टता का तकाजा यह है कि ‘इसके’ के बजाय ‘इनके’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि रोहिणी की मां राबड़ी देवी ने 2009 के चुनाव में छपरा में लालू यादव के समर्थन में आयोजित जनसभा में नीतीश कुमार और जदयू नेेता ललन सिंह दोनों को एक दूसरे का जीजा बताया था। तब नीतीश कुमार ने कहा था कि यह बयान राष्ट्रीय जनता दल की संस्कृति को उजागर करता है।
तेजस्वी पर निशाना साधने के दौरान प्रशांत किशोर ने उन्हें नौवीं फेल तो बताया ही था, यह भी कहा था कि क्रिकेट के मैदान में वह सिर्फ पानी पिलाते थे। रोहिणी के भड़कने की यही वजह तात्कालिक लग रही है। अगर हम तेजस्वी यादव का क्रिकेट कैरियर देखें, जिसके लिए कहा जाता है कि उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी, तो वह फेल प्लेयर ही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि आईपीएल के चार सीजन में उनका सिलेक्शन तो हुआ, लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला। इस दौरान वह प्लेइंग इलेवन के खिलाड़ियों को पानी पिलाते रहे। बाद में जब लालू यादव से उनकी परफॉर्मेंस के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि, कम से कम मेरे बेटे को खिलाड़ियों को पानी पिलाने का मौका तो मिला।’ जिस बात पर लालू यादव कभी नहीं भड़के उसी बात पर रोहिणी उखड़ी हुई हैं और प्रशांत किशोर के कई बाबूजी का जिक्र कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी है कि तेजस्वी ने अपने करियर में सात मैच खेले। इनमें एक रणजी भी शामिल है। पूरे करियर में 37 रन बनाए और एक विकेट लिया। रणजी की दो पारियों में क्रमश: एक और 19 रन बनाए। बॉलिंग भी की, 17 रन दिए पर कोई विकेट नहीं ले सके।
लालू यादव की बेटी मीसा भारती राजनीति में सक्रिय हैं। कभी उनकी एमबीबीएस की पढ़ाई, अपने बैच की टॉपर स्टूडेंट ने पढ़ाई पूरी करने के बाद कितने पेशंट देखे, मेडिकल लाइन में उनका क्या योगदान है, इसकी भी चर्चा हो सकती है। तब फिर लालू परिवार को कोई सदस्य ऐसी ही अमर्यादित टिप्पणी के साथ सामने आ सकता है। वैसे, पीके की जो जन सुराज यात्रा चल रही है, उसमें वह बच्चों की पढ़ाई और उनके रोजगार का मसला उठा रहे हैं। ऐसे में सवाल तो उठेगा ही कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि लालू यादव के बेटों ने स्कूली शिक्षा से किनारा कर लिया? पढ़ाई-लिखाई का इस परिवार में कितना महत्व है? पीके लोगों से जाति-धर्म के बजाय पढाई और रोजगार पर वोट देने की अपील कर रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि देर-सबेर वह बीजेपी के भी निशाने पर आ सकते हैं।
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