कृत्रिम जलाशयों का त्योहार नहीं है छठ
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दिल्ली-नोएडा में बहने वाली यमुना नदी का यह हाल हो जाता है। इसमें कैसे दे सकते हैं अर्घ्य |
अब छठ का प्रसार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका, यूरोप तक में इसकी धमक है, लेकिन हाल के बरसों में दिल्ली-एनसीआर में छठ के दिन सूर्यदेव का दर्शन नहीं होता। सूर्य किसी जलद पटल में नहीं, बल्कि प्रदूषण की चादर में छुप रहे हैं और यह हालात मानव निर्मित है। हुकूमतें अपने दल शासित प्रदेशों को छोड़कर दूसरे राज्यों से पराली का धुआं आने की बयानबाजी को प्रमुखता से रही हैं। अफसर कार्रवाई के नाम पर चालान काटने तक सिमटे हैं। लोग स्टेटस मेंटेन करने में कार से बाहर निकलना छोड़ नहीं रहे। सूर्य को प्रदूषण के राहु के हवाले कर अवाम छठ की तैयारी में मगन है।
तालाबों पर कॉलोनियां बस गई हैं, कुएं पाट दिए गए हैं, नदियां पहले जहरीली हुईं, फिर सूखती जा रही हैं। भाई दूज पर कभी यमुना ने अपने भाई यम को आयुष्मान होने का वरदान दिया था, और दिल्ली में यमुना खुद अकाल मौत को प्राप्त हो गई है। वृंदावन में द्वापर में कलिया नाग यमुना में कुंड बनाकर रहता था, उसके विष के प्रभाव से यमुना का पानी काला हो गया था। कृष्ण ने जब कलिया का मान मर्दन किया तो वह यमुना को छोड़कर चला गया। ऐसा लगता है कि कलियुग में कलिया अनंग होकर विभिन्न मनुष्यों में वास कर रहा है, क्योंकि दिल्ली में यमुना फिर काली हो गई है। पहले इसके पानी से ऑक्सीजन खत्म हुई, अब यहां उतने ऊंचे झाग बन रहे हैं, जितनी ऊंची जलतरंगे कभी कालिंदी में नहीं उठी होंगी।
आप सोसायटियों के कैंपस में बने स्विमिंग पूल या छत पर टब में पानी भरकर छठ कर सकते हैं। सही है कि दिल्ली-एनसीआर में हिंडन और यमुना की जो स्थिति है, उसके किनारे छठ करना और उसमें स्नान करना इस त्योहार के दर्शन के पूरी तरह खिलाफ है। लेकिन यह सोचिये कि छठ तो सामूहिकता का त्योहार है, छत पर टब रख और उसमें पानी भरकर अर्घ्य देने से प्रकृति का क्या भला होगा? जो त्योहार की फिलॉसफी है, वह तो इस टब में तिरोहित हो जाएगी।
नदियों की दुर्दशा अचानक नहीं हुई है। जिनकी उम्र अभी 40-50 साल है, उन्हेें याद होगा कि उन्होंने बचपन में कल-कल कर बहती नदियां देखी होंगी। उसमें स्नान किया होगा। लेकिन दिल्ली जहां छठ को लेकर इतनी राजनीति होती है, जनप्रतिनिधि अपनी ताकत दिखाते हैं, क्या वे जानते हैं कि दिल्ली में जो नजफगढ़ ड्रेन है, वह कभी साबी नदी थी। नदियों का नाश कैसे हुआ, यह जानने के लिए बस नजफगढ़ नाले के बनने और साबी के मृत होने की कहानी जान लेना काफी होगा।
Photos - Ramesh Sharma
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