चौबे जी की चांदी और बक्सर की...

बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे केंद्रीय मन्त्रिपरिषद में जगह पा गए। पिछली बार बीजेपी ने उनकी पुरानी सीट भागलपुर से लड़ने लायक उन्हें नहीं समझा था, सो बक्सर में धकेल दिए गए। यहां ब्राह्णण समेत upper कास्ट व बीजेपी समर्थक दूसरी जातियों का ऐसा प्लेटफार्म तैयार है कि कोई भी बीजेपी का टिकट लाता तो जीत जाता। चौबे जी भी जीत गए। अब बक्सर क्या सेहतमंद हो जाएगा? विधानसभा चुनाव में भागलपुर सीट पर पुत्र मोह के कारण बीजेपी को बीमार करने का आरोप नए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री पर लग चुका है। वैसे 28 साल बाद बक्सर का कोई सांसद मन्त्रिपरिषद तक पहुंचा है।

थोड़ा परिचय
बक्सर में 1952 और 1957 में कमल सिंह निर्दलीय सांसद बने। वह डुमराव की पूर्व रियासत से सम्बन्ध रखते हैं। फिर  1962 में कांग्रेस के एपी शर्मा, 1967 में कांग्रेस के राम सुभग सिंह, 1971 में कांग्रेस के एपी शर्मा, 1977 में भारतीय लोक दल के रामानन्द तिवारी, 1980 और 1984 में कांग्रेस के केके तिवारी, 1989 और 1991 में सीपीआई के तेज नारायण सिंह, 1996, 98, 99 और 2004 में बीजेपी के लालमुनि चौबे, 2009 में राजद के जगतानन्द सिंह और 2014 में अश्विनी चौबे जीते।

विडम्बना
अश्विनी चौबे, जगता बाबू, लालमुनि चौबे, केके तिवारी कोई बक्सर का नहीं है। राम सुभग सिंह आरा के थे। अश्विनी चौबे भागलपुर के हैं। जगतनन्द सिंह, लालमुनि और केके तिवारी तीनों कैमूर जिले के हैं जो रिज़र्व सासाराम सीट के तहत है। वहां चूंकि वे चुनाव लड़ नहीं पाते, लिहाज़ा बक्सर का रुख किया और यहां से सांसद बने।तो क्या बक्सर में किसी नेता में सांसद बनने की योग्यता नहीं है?

नुकसान
ये सारे आयातित नेता 5 साल मौज काटते हैं। जिनका कहीं कोई पक्का ठिकाना नहीं होता जहां लोग उनसे मिल सकें। हालात यह है कि शहर में कोई उन्नत पार्क तक नहीं है। 1988-89 के दौरान एक चिल्ड्रन पार्क बना जिसमें बाद में म्यूजियम बना दिया गया। 1984 से 1989 के दौरान जब केके तिवारी सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री थे तब उन्होंने एक छोटा सा tv टॉवर बनवाया था। लाइट एंड साउंड सिस्टम क्यों बन्द हो गया, कोई बताने वाला नहीं क्योंकि सांसद या तो दिल्ली में होते हैं या अपने घर पर जो बक्सर से बाहर होता है।
टीवी चैनलों पर खबर आ रही थी कि अश्विनी चौबे के मंत्री बनने पर बक्सर में मिठाई बांटी गई, लेकिन बक्सर की वह चर्चा कहीं जगह नहीं पा सकी कि अब चौबे जी वहां निवेश करेंगे जहां से वह या उनका कोई नज़दीकी चुनाव लड़ने वाला होगा।

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