Posts

Showing posts from July, 2018

गुरुघण्टाल नमः

गुरु पूर्णिमा पर कुछ गुरुघण्टाल भी याद आ रहे हैं। ये हर आदमी का गुरु बनने को तत्पर रहते हैं जबकि योग्यता चेला बनने की भी नहीं होती है। टीम लीडरशिप और प्रबंधन की कार्यशालाओं...

ये रेत की इमारतें

Image
तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ  लुटा मुझे रहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है। और जब सवाल उठते हैं तो हाकिम बुरा मानते हैं। मीडिया सवाल क्यों उठा रहा है? क्यों नहीं वो वह सब कुछ छापता है जो हम चाहते हैं। हमारे ऊपर जिले भर की जिम्मेदारी है। थोड़ी बहुत ऊंच नीच हो जाती है। इमारतें कहां नहीं गिरतीं, अवैध कॉलोनियां कहां नहीं बसती। नोयडा और गाज़ियाबाद को लेकर इतना हंगामा क्यों? मीडिया NDRF के उस अधिकारी का वर्जन क्यों लेता है जो बार बार यह कहता है कि मौके पर न तो हमें लेआउट प्लान मिलता है और न ही वहां मौजूद लोगों की संख्या लोकल प्रशासन बता पाता है। उसकी यह बात क्यों हाईलाइट की जाती है कि मौके पर पुलिस और तमाशबीनों में कोई अंतर नहीं होता। पुलिस लोगों को वहां से क्यों नहीं हटाती? जिल्ले इलाही, अधिसूचित एरिया में कोई भी मकान बना सकता है क्या? 6 मंजिल इमारत के पिलर 12 mm के सरिये पर टिकेंगे क्या? 12 फुट चौड़ी गली में 500 लोग सुरक्षित रहेंगे क्या? NDRF का काम मलबा हटाना है क्या? जिलों की डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी सिर्फ मौज काटने और मॉक ड्रिल के लिए बनी है क्या...

क्रोएशिया : आप तो ऐसे न थे

Image
नायकत्व की परिभाषा है संघर्ष करते हुए परास्त हो जाना या मर जाना। आप परास्त तो हुए लेकिन आपका वह संघर्ष नहीं दिखा जो इस टूर्नामेंट में अभी तक दिखा था। आप समर्पण भाव से खेल रहे थे। आपका दूसरा गोल भले ही आपके काम का रहा हो लेकिन किसी क्लास का नहीं था। आपने आसानी से फ्रांस के सिर मोर मुकुट सजा दिया। नायक संघर्ष करते हुए किस तरह परास्त होता है यह देखा था हमने 1987 में। भारत और पाकिस्तान में आयोजित विश्व कप क्रिकेट में न्यूजीलैंड और जिंबाब्वे का मैच हो रहा था। न्यूजीलैंड की टीम ने 242 रन का स्कोर किया था। सामने कमजोर जिंबाब्वे की टीम थी। उस दौर में 50 ओवर में यह बड़ा स्कोर माना जाता था। जवाब में खेलने उतरी जिंबाब्वे की टीम के कप्तान डेव हटन ने जीत के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने 137 गेंद में 142 रन बनाए थे जिसमें 6 छक्के और 13 चौके थे। इतना ही नहीं, दुनिया ने पहली बार रिवर्स स्विप का नजारा भी हटन के बैट से ही देखा था। ठीक है कि जिंबाब्वे की टीम हार गई थी लेकिन नायकत्व की परिषाभा को हटन ने दुनिया के सामने पेश किया था। हीरो की दूसरी परिभाषा सचिन तेंदुलकर ने दुनिया को 1989 में दिखाई थी। जब ...

ऐसे भी बनते हैं फुटबॉल टीम के फैन

Image
वर्ल्ड कप फुटबॉल का सेमीफाइनल शुरू होने में अभी टाइम है। तब तक मैं आप सभी को एक सत्यकथा सुनाता हूँ। 2002 का दौर था। फुटबॉल की विश्व विजेता टीम फ्रांस विजय मद में मचलती हुई आई थी।...