तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ लुटा मुझे रहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है। और जब सवाल उठते हैं तो हाकिम बुरा मानते हैं। मीडिया सवाल क्यों उठा रहा है? क्यों नहीं वो वह सब कुछ छापता है जो हम चाहते हैं। हमारे ऊपर जिले भर की जिम्मेदारी है। थोड़ी बहुत ऊंच नीच हो जाती है। इमारतें कहां नहीं गिरतीं, अवैध कॉलोनियां कहां नहीं बसती। नोयडा और गाज़ियाबाद को लेकर इतना हंगामा क्यों? मीडिया NDRF के उस अधिकारी का वर्जन क्यों लेता है जो बार बार यह कहता है कि मौके पर न तो हमें लेआउट प्लान मिलता है और न ही वहां मौजूद लोगों की संख्या लोकल प्रशासन बता पाता है। उसकी यह बात क्यों हाईलाइट की जाती है कि मौके पर पुलिस और तमाशबीनों में कोई अंतर नहीं होता। पुलिस लोगों को वहां से क्यों नहीं हटाती? जिल्ले इलाही, अधिसूचित एरिया में कोई भी मकान बना सकता है क्या? 6 मंजिल इमारत के पिलर 12 mm के सरिये पर टिकेंगे क्या? 12 फुट चौड़ी गली में 500 लोग सुरक्षित रहेंगे क्या? NDRF का काम मलबा हटाना है क्या? जिलों की डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी सिर्फ मौज काटने और मॉक ड्रिल के लिए बनी है क्या...