एक और समाजवादी का जाना

जॉर्ज फर्नांडिस नहीं रहे। 88 साल की उम्र में निधन हो गया। 9 बार सांसद रहे जॉर्ज जब लोकसभा में बोलते थे, तब हाउस के अंदर और बाहर रेडियो और टीवी पर लोग उन्हें खामोश हो कर सुनते थे। ऐसे जॉर्ज कई साल से खामोश थे। जॉर्ज कहीं जाते भी थे तो किसी होटल के बजाय परिचित के यहां रुकते थे। ऐसे जॉर्ज कई साल से एक तरह से लापता थे।

कहा जाता है कि वह कई भाषाओं के जानकार और मजबूत याददाश्त वाले थे। ऐसी मेमरी वाले जॉर्ज की मेमरी अल्जाइमर नामक बीमारी ने छीन ली थी। हालात ऐसे हो गए थे कि 6-7 साल पहले जब पारिवारिक विवाद को लेकर कोर्ट गए थे, तब जज ने उन्हें उस दिन का अखबार देते हुए कहा कि आज 25 जून है। कुछ याद आया जॉर्ज, और कांग्रेस के सदा विरोधी जॉर्ज को इमरजेंसी की वह डेट भी याद नहीं आई थी।

वह एनडीए के संयोजक थे, जो दो दर्जन दलों का कुनबा था, लेकिन वही जॉर्ज अपनी प्रॉपर्टी का विवाद नहीं निपटा सके थे। उनकी आवाज कर्कश नहीं थी, लेकिन गोधरा कांड पर उनके बयान की अधिकतर लोगों ने निंदा की थी।

जॉर्ज राज्यसभा में जाने को धतकर्म मानते थे, लेकिन 2009 में उनकी पार्टी ने ऐसी स्थिति कर दी कि जॉर्ज को जिंदगी में पहली और आखिरी बार राज्यसभा जाना पड़ा। 1994 में जनता दल से अलग होकर जॉर्ज ने समता पार्टी बनाई जो अब जनता दल यू बन चुका है।

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