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Showing posts from February, 2020

रतनलाल का क्या कसूर था?

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रतनलाल दिल्ली पुलिस में हवलदार थे।  राजस्थान के सीकर जिले के रहनेवाले थे। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट है कि पिछले साल 27 फरवरी को वह विंग कमांडर अभिनंदन जैसी मूंछों की वजह से चर्चा में आये थे, जब अभिनन्दन पाकिस्तान में उतर गए थे। रतन लाल इस साल 27 फरवरी से पहले 24 फरवरी को ही चर्चा में आये, लेकिन जान की कीमत पर। वह राजस्थान से दिल्ली किसी की नागरिकता छीनने नहीं आये थे, लेकिन इस शहर ने उनकी जिंदगी छीन ली, उनके बच्चों को यतीम और बीवी को बेवा कर दिया। यह कैसी लड़ाई है? कौन-सा संग्राम है? इस दंगे में और भी लोग मारे गए। यह कौन सा शांति प्रदर्शन है? इस शांति प्रदर्शन की वजह से कई बार दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशन बन्द हो चुके हैं और हो रहे हैं।

कल अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस था।

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प्लेट में क्या है? जाहिर है चूड़ा-मटर। कुछ लोग चूड़े को पोहा कह सकते हैं।  अब आते हैं भोजपुरी पर, तो यह है घुघुनी- चिउरा। घुघुनी किस चीज का तो मटर का। छिलका समेत मटर और निकले हुए दाने को गादा भी कहते हैं। चिउरा को भूंजा गया है और गादा को कल्हारते हैं। और यह भोज्य पदार्थ प्लेट में नहीं, छिपुली में है। छिपुली जो छिपा यानी थाली की तरह हो, लेकिन साइज में उससे छोटी हो। तो यह होती है किसी बोली की ताकत, उसके शब्दों का भंडार। भोजपुरी में बड़ी खाट या छोटी खाट नहीं होती। खटिया उससे छोटा खटोला और उससे छोटी मचिया। मचिया को आप मोढ़ा समझ लें।

क्या दिल्ली में बीजेपी फ्रेंडली मैच खेल रही थी?

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हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से यह चर्चा गरम है कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से सहानुभूति रखी। पार्टी का खाता लगातार दूसरी बार नहीं  खुला और इसे कांग्रेस की रणनीति करार दिया गया, बीजेपी को रोकने के लिए। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी जिस तरह सिर्फ शाहीन बाग और सीएए के इर्द-गिर्द सिमटी रही और वैसे मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाने से परहेज किया, जहां आप फंस सकती थी, से ऐसा लगता है कि कहीं वह आप के साथ फ्रेंडली मैच तो नहीं खेल रही थी? हेल्थ दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने एजुकेशन और हॉस्पिटल के मॉडल को लेकर मैदान में थी। यहां बीजेपी यह सवाल उठा सकती थी कि अगर दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की हालत इतनी अच्छी हो गई तो दिल्ली के मंत्री गोपाल राय का ऑपरेशन अपोलो में क्यों कराया गया? मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी है कि उन्हें फिजियोथेरेपी के लिए भी अपोलो, चेन्नै जाने को कहा गया था। बीजेपी इस मसले पर खामोश रही थी। दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की जांच के लिए निजी लैब से टाईअप किया गया। खासकर एमआरआई के लिए जो पंत अस्पताल को छोड़कर...

आप के वादे पे ऐतबार किया

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दिल्ली विधानसभा चुनाव की गिनती शुरू होने के थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस के चुनावी दफ्तर साफ किए जाने लगे थे आम आदमी पार्टी या बीजेपी कितनी सीटें जीतेगी, इसका अनुमान लगाने के दौरान सीधा जवाब था कि आप सभी 70 सीटें जीत रही है। क्यों? क्योंकि उसके मुद्दे-20 हजार लीटर तक पानी फ्री, बुजुर्गों के लिए तीर्थाटन फ्री, पढ़ाई और दवाई की व्यवस्था, पानी-सीवर की सारी पेंडेंसी क्लियर, सिविल डिफेंस में बड़ी संख्या में वर्दी वाली नौकरी और चुनाव से ऐन पहले 200 यूनिट तक फ्री बिजली व डीटीसी की रूट वाली बसों में महिलाओं का मुफ्त सफर, ये ऐसे हैं जिनका असर हर सीट पर होगा। ऐसे में मसला यह था कि अगर आप कोई सीट हार रही है तो उसकी वजह क्या हो सकती है? नतीजे ठीक अनुमान के मुताबिक आए और आप ने करीब 90 फीसद सीटें जीत ली। विश्लेषण का विषय भी यह होना चाहिए कि आप किसी सीट पर क्यों हारी? पेट और नाक की लड़ाई का फॉर्म्युला चुनाव में यह फॉर्म्युला खामोशी से काम करता है। जब कोई अपने पैतृक स्थान पर होता है और सामान्य जीवन जी रहा है तो उसके सामने चुनाव में नाक की लड़ाई होती है। दिल्ली जैसे शहर में जहां हर...