क्या दिल्ली में बीजेपी फ्रेंडली मैच खेल रही थी?
हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से यह चर्चा गरम है कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से सहानुभूति रखी। पार्टी का खाता लगातार दूसरी बार नहीं खुला और इसे कांग्रेस की रणनीति करार दिया गया, बीजेपी को रोकने के लिए। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी जिस तरह सिर्फ शाहीन बाग और सीएए के इर्द-गिर्द सिमटी रही और वैसे मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाने से परहेज किया, जहां आप फंस सकती थी, से ऐसा लगता है कि कहीं वह आप के साथ फ्रेंडली मैच तो नहीं खेल रही थी?
हेल्थ
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने एजुकेशन और हॉस्पिटल के मॉडल को लेकर मैदान में थी। यहां बीजेपी यह सवाल उठा सकती थी कि अगर दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की हालत इतनी अच्छी हो गई तो दिल्ली के मंत्री गोपाल राय का ऑपरेशन अपोलो में क्यों कराया गया? मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी है कि उन्हें फिजियोथेरेपी के लिए भी अपोलो, चेन्नै जाने को कहा गया था। बीजेपी इस मसले पर खामोश रही थी। दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की जांच के लिए निजी लैब से टाईअप किया गया। खासकर एमआरआई के लिए जो पंत अस्पताल को छोड़कर दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में शायद ही हो। बीजेपी यह मुद्दा भी उठा सकती थी और सरकार को घेर सकती थी कि उसने सरकारी अस्पतालों में नौकरियों के ऑप्शन कम कर दिए और प्राइवेट लैब के जाल में फंस गई, लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे पर भी चुप्पी साधे रखी। लोग बताते हैं कि कई निजी लैब में एमआरआई के लिए दो मशीनें लगाई गई हैं। एक में उनका टेस्ट होता है जो लैब को डायरेक्ट पेमेंट करते हैं। दूसरी मशीन सरकारी अस्पतालों से रेफर होकर आने वालों के लिए है। क्या बीजेपी नेताओं के कानों तक यह चर्चा नहीं गई होगी?
एजुकेशन
चुनाव प्रचार के दौरान यह दावा जोरशोर से किया गया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इतनी बढ़िया पढ़ाई हो रही है कि कई लोगों ने अपने बच्चों के नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवाकर इन सरकारी स्कूलों में लिखवाया। बीजेपी मजबूत ढंग से काउंटर कर सकती थी कि दिल्ली के किस विधायक या मंत्री या आला अधिकारी ने अपने बच्चों का नाम दिल्ली सरकार के स्कूलों में लिखवाया है। यहां बीजेपी ने सिर्फ विरोध की रस्मअदायगी की थी। बीजेपी दिल्ली नगर निगम के प्रतिभी विद्यालयों की बात भी उठा सकती थी, जहां के स्टूडेंट बेहतर परफॉर्म करते हैं और दिल्ली नगर निगम बीजेपी के पास ही है। दिल्ली के सातों लोकसभा सांसद और एक राज्यसभा सांसद ने स्कूलों को लेकर स्टिंग किया था, लेकिन उसे क्यों बंद कर दिया गया, बीजेपी को इसका जवाब देना चाहिए।
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बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो |
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