कोरोना : बेड का संकट और सेना के फील्ड हॉस्पिटल
कोरोना के द्विरागमन में सामान्य बेड, ऑक्सिजन बेड, ऑक्सिजन और ऑक्सिजन सिलेंडर की कमी की खबरें लगातार आ रही हैं। क्या सिर्फ यह कहकर बैठा जा सकता है कि इस इंफ्रास्ट्रक्चर में कितना करें? क्या वक़्त नहीं आ गया है कि इसमें सेना की मदद ली जाए?
इंडियन आर्मी की बात करें तो इसके तकरीबन 40 डिविजन हैं। एक डिविजन में दो फील्ड हॉस्पिटल होते हैं। इस लिहाज से कुल फील्ड हॉस्पिटल हुए कम से कम 80 और इनमें से अधिकतर सालों भर इनएक्टिव रहते हैं। कुछ जरूर इस समय भी सीमावर्ती इलाकों में चल रहे होंगे, लेकिन इनका मुख्य इस्तेमाल युद्ध काल में ही होता है। अगर एक डिविजन से एक फील्ड हॉस्पिटल भी सिविल ड्यूटी में लगा दिया जाए तो हालात पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इन फील्ड हॉस्पिटल में सिर्फ बेड ही नहीं, बल्कि ड्रेसिंग रूम, पोर्टेबल ओक्सिजन सिलेंडर और ऑपेरशन थिएटर तक होते हैं। अभी ओटी की जरूरत तो है नहीं, सिर्फ सामान्य बेड और ऑक्सिजन बेड वाले फील्ड हॉस्पिटल सेना तुरंत तैयार भी कर देगी। अब उसमें सेना का भी मेडिकल स्टाफ रहे और जरूरत के मुताबिक सिविल मेडिकल स्टाफ भी सपोर्ट करे।
दिल्ली और हरियाणा सरकार में ऑक्सिजन को लेकर पिछले दिनों आरोप-प्रत्यारोप हुए। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि दिल्ली सरकार के इशारे पर उसका फरीदाबाद जा रहा ऑक्सिजन का टैंकर लूट लिया गया। दिल्ली सरकार ने भी कहा कि दिल्ली आ रहा टैंकर पानीपत में रोका गया। दिल्ली सरकार, जो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के दम पर दोबारा सत्ता में आने के दावे करती है, क्या उसे अपने यहां ऑक्सिजन प्रोडक्शन करने वाला प्लांट नहीं लगाना चाहिए। पूर्वी दिल्ली में UCMS और IHBAS के बीच करीब 32 बीघा जमीन है, जिस पर यह सूचना लगी है कि यह जमीन इहबास की है। क्या इस जमीन और ऑक्सिजन प्रोडक्शन प्लांट नहीं लगाया जा सकता? यहां यह सवाल उठेगा कि इतनी जल्दी प्लांट लगाएगा कौन?
इसका जवाब जानने के लिए चार दिन पीछे चलते हैं। मंगलवार को हरियाणा के सीएम मनोहरलाल ने 'हरियाणा की बात' कार्यक्रम में DRDO से अपील की कि वह पानीपत में 500 से 1000 बेड का कोविड अस्पताल तैयार करे। अगले दिन वहां के गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि DRDO की ओर से बताया गया है कि वह पानीपत के साथ-साथ हिसार में भी कोविड अस्पताल बनाकर देगा। क्या दिल्ली सरकार को DRDO से यह अपील नहीं करनी चाहिए?
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