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Showing posts from February, 2022

पिंडरा : चर्चा में कोई और, हालात कुछ और संकेत दे रहे हैं

बनारस जिले की पिंडरा विधानसभा सीट। यह क्षेत्र पार्टी से अधिक प्रत्याशियों के नाम से चर्चा में रहता है। फिलहाल पिंडरा कहते ही कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय का नाम पहले आता है, जो कि पूर्व विधायक हैं और पिछला चुनाव हार चुके हैं। 2012 में यह सीट अस्तित्व में आई थी, उसके पहले यह कोलअसला सीट थी, जिस पर सीपीआई के उदल नौ बार विजयी हुए थे। तब कोलअसला सीट सीपीआई से अधिक उदल के नाम से जानी जाती थी। बीजेपी प्रत्याशी अवधेश सिंह भले यहां के सिटिंग एमएलए हों, लेकिन चर्चा में अजय राय आगे हैं। वह भी तब जबकि पिछली बार अजय राय तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 50 हजार वोट भी नहीं मिले थे। 2017 के चुनाव में बसपा दूसरे नंबर पर रही थी। सपा ने इस बार यह सीट गठबंधन के तहत अपना दल कमेरावादी को दी है। अजय राय 2019 में भी चर्चा में आए थे,जब उन्होंने बनारस संसदीय सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस बार की राजनीति करखियांव गांव में बन रहे अमूल दूध के प्लांट के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है। बीजेपी इसे जहां क्षेत्र का विकास मानते हुए अपने पक्ष में मान रही है, वही विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी इसी मिल्क प्ला...

जहूराबाद : वर्तमान और भूतपूर्व विधायकों में अभूतपूर्व लड़ाई

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फोटो गूगल से साभार  बहादुरशाह जफर का शेर है : जाहिर हैं क्या जहूर के मजहर नए-नए, जलवे हैं उसके पर्दे के अंदर नए-नए जहूर के मजहर देखने का विचार थोड़ी देर मुल्तवी कर चलते हैं गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट पर, जहां नए नजारे दिखाने की बात कही जा रही है, जुबानी फिसलन ताड़ी घाट तक जाकर भी रुकती नहीं दिखती, दिलदारों का नगर (दिलदारनगर) पास में ही है, लेकिन कमजर्फो साफ दिख रही है। यहां वर्तमान और दो भूतपूर्व विधायकों के बीच अभूतपूर्व जंग है। सीट जिले के लिहाज से गाजीपुर में है और संसदीय क्षेत्र के हिसाब से बलिया में। इस सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर खुदै गठबंधन के उम्मीदवार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स है कि हाल ही में उन्होंने गाजीपुर की सभा में कहा था कि वह सीएम योगी को लखनऊ की गद्दी से हटाकर वहां भेजेंगे, जहां भीख मांगने की ट्रेनिंग दी जाती है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कई बार कहा कि जब वह योगी सरकार में मंत्री थे तब भी मुख्तार अंसारी से मिलने पंजाब की रोपड़ जेल में जाते थे। प्रदेश की बांदा जेल में भी उनसे कई बार मुलाकात हुई।  ओमप्रकाश राजभर भले आत्...

मऊ में सब बंद है, राजनीति चालू है

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यह है मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र। पूर्वी उत्तर प्रदेश की चर्चित सीटों में से एक। यहांं का राज पैलेस सिनेमाहॉल बंद है, बुनकरों के इस इलाके में स्वदेशी कॉटन मिल दशकों से बंद है, बीजेपी की किस्मत का ताला इस सीट पर आज तक बंद है और स्थानीय विधायक 2005 से जेल में बंद है। दूसरी तरफ, राजनीतिक गलियारा यहां बन रहे हाइवे की तरह खुला है। यह अलग बात है कि मिर्जा हादीपुरा से पेट्रोल टँकी क्रास कर बलराई मोड़ तक पहुंचते-पहुंचते राजनीतिक गलियारे का स्वरूप बदल जाता है, समर्थन और विरोध का सुर बदल जाता है। दूसरी सीटों से बदला हुआ नजारा यहां दिखता है, जब यहां योगी-अखिलेश से अधिक प्रत्याशियों की चर्चा होती है। इस बदलाव पर थोड़ा और गौर करें तो 1996 से यहां के विधायक बन रहे मुख्तार अंसारी की राजनीतिक विरासत बदल गई है। अब उनके बेटे अब्बास अंसारी को यहां से प्रत्याशी बनाया गया है। बदलने पर एक और बात याद आ रही है, मुख्तार अंसारी के पार्टी बदलने की। कभी बसपा से, कभी निर्दलीय, कभी खुद के कौमी एकता दल से और इस बार सुभासपा से चुनाव लड़ने की तैयारी थी। विमर्श के माध्यम बदल रहे हैं। बलराई मोड़ से रैनी की ओर जाने वाले तिर...

यूपी में बीजेपी क्लास की राजनीति कर रही है, सपा कास्ट की

उत्तर प्रदेश के चुनाव के दो चरण हो चुके हैं। यह कहना तो उचित नहीं होगा कि कौन जीत रहा है और किसकी सरकार बन रही है। हालांकि राजनीतिक दलों ने जो तैयारी की है, जो उनके वोटर हैं, उसके आधार पर अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। बीजेपी : भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में वोटरों का एक क्लास यानी वर्ग तैयार किया है, जिसकी काट फिलहाल किसी दल के पास नहीं है। यह अलग बात है कि इस क्लास का कितना वोट बीजेपी ले पाती है? इस क्लास में वे लोग शामिल हैं जो आयुष्मान योजना में कवर हो रहे हैं,  जिनके घर में किसान सम्मान निधि आ रही है, जिनके घर प्रधानमंत्री आवास योजना में बन रहे हैं और जिनके घर में कोरोना काल में मुफ्त का राशन आ रहा है। यह एक ऐसा क्लास है जिसके लोग एक दूसरे को नहीं जानते, लेकिन वे एक कॉमन मसले पर वोट कर सकते हैं। बीजेपी ने एक तरह से कम्युनिस्ट पार्टियों के कैडर वोट को इस क्लास में ला दिया है और यह वर्ग अगर बीजेपी के पक्ष में झुका तो खामोशी से उसे दोबारा सत्ता में स्थापित करवा देगा। यह तो पार्टी के विरोधी भी मान रहे हैं कि यह मदद हिंदू-मुस्लिम, अगड़ा-पिछड़ा, शहरी-देहाती में नहीं बंटी है। यह ...