पिंडरा : चर्चा में कोई और, हालात कुछ और संकेत दे रहे हैं


बनारस जिले की पिंडरा विधानसभा सीट। यह क्षेत्र पार्टी से अधिक प्रत्याशियों के नाम से चर्चा में रहता है। फिलहाल पिंडरा कहते ही कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय का नाम पहले आता है, जो कि पूर्व विधायक हैं और पिछला चुनाव हार चुके हैं। 2012 में यह सीट अस्तित्व में आई थी, उसके पहले यह कोलअसला सीट थी, जिस पर सीपीआई के उदल नौ बार विजयी हुए थे। तब कोलअसला सीट सीपीआई से अधिक उदल के नाम से जानी जाती थी। बीजेपी प्रत्याशी अवधेश सिंह भले यहां के सिटिंग एमएलए हों, लेकिन चर्चा में अजय राय आगे हैं। वह भी तब जबकि पिछली बार अजय राय तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 50 हजार वोट भी नहीं मिले थे। 2017 के चुनाव में बसपा दूसरे नंबर पर रही थी। सपा ने इस बार यह सीट गठबंधन के तहत अपना दल कमेरावादी को दी है। अजय राय 2019 में भी चर्चा में आए थे,जब उन्होंने बनारस संसदीय सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
इस बार की राजनीति करखियांव गांव में बन रहे अमूल दूध के प्लांट के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है। बीजेपी इसे जहां क्षेत्र का विकास मानते हुए अपने पक्ष में मान रही है, वही विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी इसी मिल्क प्लांट के लिए जिनकी जमीन गई, उनके मुआवजे के मसले पर फंस रही है। हालांकि उदल के पौत्र अजय उदल जो 2013 से बीजेपी में हैं, कहते हैं कि अमूल प्लांट को लेकर कोई पेच नहीं है, सिर्फ विपक्ष की राजनीति है। उनका कहना है कि अमूल मिल्क प्लांट की तरफ से मुआवजे का पैसा सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया गया है। जमीन के मालिक का देहांत हो गया है और उनकी औलादें अभी कागजों पर अपना नाम नहीं चढ़वा सकी हैं, उन्हीं का पेच है और वे लोग भी अपना कागज पत्तर जमा करवा रहे हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटों की तरह भी यहां जातीय गुणा-गणित हावी है। इलाके में कुर्मी वोटरों की बहुतायत मानी जाती है, लेकिन उसके कई दावेदार हैं। अजय उदल का कहना है कि इलाके के ओबीसी वोट बीजेपी को जा रहे हैं और इसकी वजह है किसान सम्मान निधि। उनका कहना है कि ओबीसी और उसमें भी पटेल बिरादरी आमतौर पर खेती-किसानी पर निर्भर है। सम्मान निधि की वजह से इस बार अधिकतर ओवीसी वोट बीजेपी को जा रहा है। हालांकि इस दावे में कितनी सच्चाई है, इसे देखें तो पता चलता है कि सपा गठबंधन के अपना दल (कमेरावादी) ने यहां राजेश पटेल को उम्मीदवार बनाया है जो कुर्मी जाति से आते हैं। बसपा ने बाबूलाल पटेल को कैंडिडेट बनाया है और वह भी इसी जाति से हैं। यानी कुर्मी वोट इस सीट पर साफ-साफ बंटा दिख रहा है। यह उस तरह एकतरफा बीजेपी की और शायद न जाए, जैसा किसी जमाने में उदल को मिलता था। हालांकि किसान सम्मान निधि किसानों के बीच कितनी लोकप्रिय है, उसे जांचने की एक बेहतर सीट है पिंडरा। अजय राय और अवधेश सिंह के स्वजातीय वोट भी आपस में बंटेंगे। इसलिए जो कम आबादी वाली जातियां हैं, उनके वोट महत्वपूर्ण हो जाएंगे।

इसी सीट के तहत बनारस का बाबतपुर इंटरनैशनल हवाई अड्डा भी आता है, लेकिन फाइनली टेकऑफ कौन करेगा, इसके लिए 10 मार्च तक वेटिंग एरिया में ही रहना ठीक है। लेकिन यह उन गिनी-चुनी सीटों में शामिल है, जहां प्रत्याशी के बहाने ही सही, कांग्रेस चर्चा में है।



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