जहूराबाद : वर्तमान और भूतपूर्व विधायकों में अभूतपूर्व लड़ाई
फोटो गूगल से साभार |
जहूर के मजहर देखने का विचार थोड़ी देर मुल्तवी कर चलते हैं गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट पर, जहां नए नजारे दिखाने की बात कही जा रही है, जुबानी फिसलन ताड़ी घाट तक जाकर भी रुकती नहीं दिखती, दिलदारों का नगर (दिलदारनगर) पास में ही है, लेकिन कमजर्फो साफ दिख रही है। यहां वर्तमान और दो भूतपूर्व विधायकों के बीच अभूतपूर्व जंग है। सीट जिले के लिहाज से गाजीपुर में है और संसदीय क्षेत्र के हिसाब से बलिया में।
इस सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर खुदै गठबंधन के उम्मीदवार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स है कि हाल ही में उन्होंने गाजीपुर की सभा में कहा था कि वह सीएम योगी को लखनऊ की गद्दी से हटाकर वहां भेजेंगे, जहां भीख मांगने की ट्रेनिंग दी जाती है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कई बार कहा कि जब वह योगी सरकार में मंत्री थे तब भी मुख्तार अंसारी से मिलने पंजाब की रोपड़ जेल में जाते थे। प्रदेश की बांदा जेल में भी उनसे कई बार मुलाकात हुई।
ओमप्रकाश राजभर भले आत्मविश्वास से भरे हों, लेकिन उनके विरोधियों ने जहूराबाद सीट पर उनके लिए मजबूत व्यूह रचना की है। यह इलाका भले नए-नवेले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पास हो लेकिन ओपी राजभर की गाड़ी इस पर हर्डल फ्री सफर करती नहीं दिखती। उनके सामने बीजेपी से कालीचरण राजभर हैं जो 2002 और 2007 में इस सीट से बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। बसपा से शादाब फातिमा हैं जो 2012 में यहां से सपा विधायक रह चुकी हैं और अखिलेश मंत्रिपरिषद में भी थीं।
जहूराबाद में सातवें चरण में चुनाव होना है और यह चुनावी चक्रव्यूह का आखिरी दरवाजा भी है। सपा गठबंधन के नेता अखिलेश यादव शालीनता से चुनाव प्रचार में लगे हैं। लॉ एंड ऑर्डर के मसले पर विपक्षियों के जाल में न फंसे, इसके लिए मऊ सदर से मुख्तार के बदले उसके बेटे अब्बास अंसारी को टिकट दिया गया। लेकिन ओमप्रकाश राजभर की जुबान फिसल रही है। हो सकता है कि यह उनकी कोई रणनीति भी हो।
पूर्वी उत्तर प्रदेश का चुनाव हो और जाति की बातें न हो, यह यहां के डीएनए में नहीं है। सूरतेहाल यह है कि सुभासपा-सपा के पास राजभरों के पूरे वोट नहीं हैं, उनमें हिस्सेदारी के लिए कालीचरण राजभर हैं। इस फ्रंट के पास मुस्लिमों के भी पूरे वोट नहीं हैं, क्योंकि उसमें शेयर लेने के लिए शादाब फातिमा हैं। पिछली बार यहां ओमप्रकाश राजभर 18 हजार से अधिक वोटों से जीते थे, तब उनके साथ भाजपा का वोट भी था। यह वोट इस बार कालीचरण राजभर के साथ है। भाजपा के पास अपने वोट के अलावा जातीय आधार पर राजभरों के वोट का भी दावा बन रहा है। शादाब फातिमा जितनी मजबूती से लड़ेंगी, ओमप्रकाश राजभर उतनी ही मुश्किल में फंसेंगे।
कुछ दिनों पहले चंदौली जिले की सैयदराजा सीट पर हवाओं पर सवार होकर एक फुसफुसाहट पहुंची थी। जहां हाथी आगे नहीं दिख रहा, वहां साइकल को जो पंक्चर कर रहा हो, उसे समर्थन देना है। दो दिन पहले ही बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने कहा था कि बसपा को कमजोर समझना भूल होगी। उसके पास अपना वोट बैंक भी है और पार्टी मुसलमानों का भी वोट ले रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे अमित शाह का बड़प्पन बताया था और कहा था कि पार्टी की पैठ पिछड़े और अगड़े वोटरों में भी है।
बाकी नेताओं के दल और गठबंधन बदलने की अदा पर फिदा वोटर भी जफर के शेर के दो मिसरे सुना रहे हैंं
इक दिल है इसको दीजिए किस-किसको ऐ जफर, आते नजर हैं सैकड़ों दिलबर नए-नए।
(फोटो गूगल से साभार)
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