Posts

Showing posts from March, 2022

होली को नष्ट कर रही यह शिष्टता

हरसु ने गुलेल को दुरुस्त कर लिया था। मिट्टी की गोलियां बनाकर उन्हें धूप में सूखा ही नहीं लिया था, बल्कि कंचे भी खरीद लिए थे। कानून-व्यवस्था सम्भालने को चौकस दरोगा की तरह गोलियों की थैली कमर में लुंगी में बांध ली थी। इस प्रक्रिया में लुंगी की लंबाई घुटनों तक आ गई थी। गुलेल शोले के गब्बर सिंह की बंदूक की तरह कंधे पर विराजमान थी। बस अब इंतज़ार था होली का। बस इस बार कोई छेड़े और फिर स्वरचित गलियों के साथ लखेदा-लखेदी शुरू। कई साल से ऐसा होता आ रहा था। हरसु मिठाई की दुकान पर खड़े हैं। कोई उन्हें जलेबी ऑफर करता है तभी पीछे से कोई एक मग चाशनी उनके सिर पर डाल देता है। चाशनी डालने वाला तो भाग जाता लेकिन ऑफर करने वाला उनकी मौलिक गालियों की जद में आ जाता। इसी बीच जब वह आंखों में पड़ी चाशनी को साफ करते रहते, कोई उनकी लुंगी खींच देता। ये अलग बात है कि फिर किसी को पंचायत करनी पड़ती और हरसु को जलेबी के साथ चाय भी पिलानी पड़ती, तभी वह मानते। कुछ साल पहले होली के दौरान मुलाकात हुई थी। अपने दरवाजे पर खड़े नॉनस्टॉप गाली दे रहे थे, लेकिन इस बार गलियों में मौलिकता और उत्साह का तत्व कम था। क्या हुआ? पता चला अपने घर...

यूपी : यह तो होना ही था, पर सीटें इतनी कम !

Image
10 फरवरी 2022 को नोएडा से दादरी के चिटेहरा जाते हुए इस रास्ते से जाना हुआ। दूर तक फैले खेत और बीच में एक कमरे पर लहराता भाजपा का झंडा। चारों तरफ फसलें लहलहा रही थीं और मानो कह रही थीं कि ये सामान्य फसलें नहीं, वोट की फसलें हैं। और जब परिणाम आए तो यह गलत भी साबित नहीं हुआ। यूपी संग्राम का पहला चरण जहां 10 फरवरी को वोटिंग हुई थी, उसमें नोएडा-बुलंदशहर, गाजिियाबाद, हापुड़ और मधुरा जिले की सभी सीटें बीजेपी ने जीत ली। हापुड़ की धौलाना सीट तो बीजेपी पहली बार जीती। यह वही सीट है, जिस इलाके में एआईएमआईएम चीफ असद्दुदीन ओवैसी की कार पर फायरिंग हुई थी। हालांकि इतनी योजनाओं के बाद भी बीजेपी की इतनी कम सीटें क्यों आईं, यह बहस का मसला है। साफ-साफ दिख रहा था कि यूपी में कास्ट और क्लास की लड़ाई चल रही है। इसमें क्लास को जीतना था वह जीता। (क्या थी कास्ट और क्लास की लड़ाई, जानने के लिए पढ़ें ब्लॉग http://boldilse.blogspot.com/2022/02/blog-post.html  बीजेपी : हालांकि बीजेपी को उतनी सीटें नहीं मिलीं, जितनी क्लास वाले फॉर्म्युले के मुताबिक मिलनी चाहिए थी। अगर किसान सम्मान निधि प्रभावी थी, तो हर सीट...

यूक्रेन-अफगानिस्तान और यूपी चुनाव का सातवां चरण

Image
बनारस के अस्सी में पप्पू की अड़ी (दुकान) पर मिनी पार्लियामेंट चल रही है। कल प्रधानमंत्री यहां से चाय पीकर जा चुके हैं। इस पार्लियामेंट की खासियत यह है कि यहां मुद्दे के मुताबिक सदन के अध्यक्ष बदलते रहते हैं। चाहे अपनी सीट पर से बोलो चाहे वेल में जाओ, कोई पाबंदी नहीं है। हर-हर महादेव। शंकर जी के त्रिशूल पर बसे इस नगर में भी रूस और यूक्रेन के बहाने लोकल चुनाव और कैंडिडेट चर्चा में हैं। लोग गाजीपुर जिले की एक सीट को यूक्रेन बता रहे हैं और वहां के एक उम्मीदवार को जेलेन्सकी। यूक्रेन की तरह यह प्रत्याशी भी रूस से अलग हुए हैं और अब उसी को आंखें दिखाते हुए लाल-पीले हो रहे हैं। प्रत्याशी के बड़बोलेपन पर लोग मज़े ले रहे हैं और उन्हें मंच से गाने के बोल सुनाते देख दाद दे रहे हैं। लोग बतिया रहे हैं कि इन्हें भी किसी नाटो ने चढ़ा दिया है। अब यह सबकी गर्मी शांत करने की धमकी दे रहे हैं। अगर चुनाव के बाद नाटो कही कमज़ोर पड़ा तो इसका क्या होगा? वैसे भी जो समीकरण है, उसमें इस जेलेन्सकी की सीट जहुआ (भोजपुरी शब्द जिसका अर्थ गड़बड़ाना होता है) रही है।  बनारसियों की निगाह में मऊ जिले की एक सीट अफगानिस्तान हो गई...

परिवारवाद बढ़ा रहे छोटे दल

1989 में केंद्र की राजीव गांधी सरकार के पतन और बाद में वीपी सिंह की परफॉर्मेंस से निराश वोटरों ने छोटे दलों को उनके विकल्प के रूप में स्वीकार करना शुरू किया। बिहार में लालू यादव, नीतीश कुमार यूपी में मुलायम सिंह यादव और मायावती का उदय हो चुका था।  हालांकि कम्युनिस्ट पार्टियां तब तक अप्रासंगिक नहीं हुई थीं। हालांकि लोगों का मोहभंग भी जल्दी ही क्षेत्रीय पार्टियों से होने लगा, जब स्पष्ट जनादेश नहीं मिलने के कारण 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव हुए। अस्थिरता का दौर शुरू हुआ। इसके बाद फिर एनडीए की सरकार आई जिसने अपने कार्यकाल पूरा किया। इसे बीजेपी लीड कर रही थी। उसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में दो बार यूपीए की सरकार बनी। फिर दो बार से बीजेपी अपने दम पर सरकार बना रही है। अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। यूपी में अपना दल (एस) का गठबंधन भाजपा के साथ है। अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं। उनकी बहन पल्लवी पटेल और मां कृष्णा पटेल का दूसरा संगठन है जिसका नाम अपना दल (क) है।  पिछले दिनों जब प्रतापगढ़ सदर सीट से अपना दल (क) से कृष्णा पटेल उम्मीदव...