Posts

अथ श्री समोसा-जलेबी कथा

Image
  सोशल मीडिया पर चर्चित कहानी है। विदेश से एक आदमी भारत आया था। वह यहां से जलेबी ले गया। जलेबी उसे इस मामले में चौंका रही थी कि इसके अंदर रस कैसे भर गया? अपने देश में जाने के बाद उसने यह मिष्ठान्न लोगों के सामने रखा और अपनी जिज्ञासा भी। वहां मौजूद एक शख्स ने अपने बैग में रखे बॉक्स से समोसा निकाला और कहा कि कई साल पहले मैं इसे ले आया था यह जानने के लिए कि इसके अंदर आलू कैसे भर गया? इसका समाधान तो निकला नहीं और तुम नया रायता फैला दिए। किस्सा कोताह यह कि समोसा और जलेबी दुनियाभर के लिए हैरतअंगेज प्रॉडक्ट रहे हैं। इनके जन्मस्थल को लेकर आज भी मतभेद रहा है। अब दुनिया के इन नौवें और दसवें आश्चर्य को किसी की नज़र लग गई। अच्छा, आप ही बताइए, आदमी कब मोटाता है? जाहिर है जब वह सुख-चैन से होगा और आर्थिक रूप से समृद्ध तभी यह गौरव हासिल कर सकेगा। कुछ दिलजले पता नहीं किस रिसर्च का नतीजा लेकर आ गए कि भारत मोटे लोगों का देश होता जा रहा है और इसकी जड़ में ये दोनों खाद्य पदार्थ हैं। अरे भाई, हम अकालग्रस्त क्षेत्र के लगते रहें, तभी आपकी आत्मा प्रसन्न रहेगी? आप तो समोसा और जलेबी के लिए सिगरेट की डिब...

कृत्रिम जलाशयों का त्योहार नहीं है छठ

Image
 दिल्ली-नोएडा में बहने वाली यमुना नदी का यह हाल हो जाता है। इसमें कैसे दे सकते हैं अर्घ्य सदियों पहले जब हमारे पूर्वजों ने छठ मनाना शुरू किया होगा, तो उसका सीधा संबंध प्रकृति के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने से रहा होगा। सूर्य, जिनसे ऊष्मा और ऊर्जा मिलती है। जलाशय, जिनसे सभी जीवों को पीने का पानी मिलता है। वनस्पतियां, जिनसे भूख शांत होती थी और शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते थे। पूजा में उन्हीं सभी चीजों का इस्तेमाल होता था, जो हमें प्रकृति से मिलते हैं। पीतल का सूप सम्भवतः पिछली सदी में उपभोक्तावाद बढ़ने के साथ आया।  अब छठ का प्रसार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका, यूरोप तक में इसकी धमक है, लेकिन हाल के बरसों में दिल्ली-एनसीआर में छठ के दिन सूर्यदेव का दर्शन नहीं होता। सूर्य किसी जलद पटल में नहीं, बल्कि प्रदूषण की चादर में छुप रहे हैं और यह हालात मानव निर्मित है। हुकूमतें अपने दल शासित प्रदेशों को छोड़कर दूसरे राज्यों से पराली का धुआं आने की बयानबाजी को प्रमुखता से रही हैं। अफसर कार्रवाई के नाम पर चालान काटने तक सिमटे हैं। लोग स्टेटस मेंटेन करने में कार से बाहर निकलना छोड़ नहीं रहे। सूर्...

गाजीपुर के वोटर कन्फ्यूजन में

Image
इस चुनाव में दिलचस्प माहौल बना है तो वह है पूर्वी यूपी की गाजीपुर सीट पर। यहां से माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी सपा के प्रत्याशी हैं तो पारसनाथ राय बीजेपी कैंडिडेट। बसपा भी है, लेकिन दिलचस्पी दो पार्टियों की वजह से बढ़ी है। मुख्तार ही हाल ही में मौत हो चुकी है। अफजाल अंसारी को मुहम्मदाबाद के तत्कालीन विधायक मर्डर मामले में चार साल की कैद हुई थी। उस पर स्टे है और इलाहाबाद हाई कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है। अगर सजा बहाल हो जाती है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। अफजाल ने इसलिए अपनी बेटी नुसरत अंसारी को वहां से निर्दलीय मैदान में उतारा हुआ है। गाजीपुर से नाम वापसी की डेट बीत चुकी है। ऐसे में अगर उन्हें सजा होती है तो भी ईवीएम में सपा उम्मीदवार वही रहेंगे। इसके विपरीत उन्हें राहत मिलती है तो वह और नुसरत दोनों मैदान में रहेंगे। सपा समर्थक कन्फ्यूजन में वोटिंग कर सकते हैं। दोनों हालत में बाप-बेटी चुनाव मैदान में रहेंगे ही। चुनाव आयोग ने नुसरत को छड़ी चुनाव चिह्न दिया है। यह निशान बीजेपी की सहयोगी सुभासपा का भी है। ऐसे में बीजेपी समर्थक संशय में छड़ी को भी वोट दे सकते हैं। चर...

हॉट बनी गाज़ीपुर लोकसभा सीट

Image
पूर्वी उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट इस चुनाव में हॉट रहेगी। इस सीट से कई दलों का अजेंडा सेट होगा, उनकी फ्यूचर प्लानिंग दिखेगी। इसका असर सिर्फ पूर्वी यूपी नहीं, बल्कि बिहार की कई  सीटों पर भी पड़ेगा। बीजेपी ने यहा 10 अप्रैल को अपने प्रत्याशी पारसनाथ राय के नाम का ऐलान किया, जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने पहले से यहां के निवर्तमान सांसद अफजाल अंसारी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अब बसपा के उम्मीदवार के ऐलान का इंतजार सभी को है। अफजाल माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं। मुख्तार की हाल ही में जेल में मौत हुई है। सपा का समीकरण सपा प्रमुख अखिलेश यादव कुछ दिनों पहले मुख्तार अंसारी के घर गए थे, जिसे स्थानीय लोग फाटक कहते हैं। वहां उन्होंने कहा था  कि दूर से चीजें साफ नहीं दिखतीं। जो लोग बताते हैं, उसे सही मानना पड़ता है। नजदीक जाकर देखने से सच्चाई पता चलती है। उनका इशारा मुख्तार अंसारी की ओर था, जिन्हें लोग माफिया भी कहते हैं और मसीहा भी। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के पहले मुख्तार-अफजाल के सपा में शामिल होने का अखिलेश ने विरोध किया था। अब उन्ही अखिलेश या...

बीजेपी-जेजेपी : चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

Image
11 मार्च को जब पीएम ने गुड़गांव में द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया, उस दौरान दुष्यंत चौटाला भी मोजूद थे हम तो इस रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर (रिमोट) ऊपरवाले के हाथों में है। 11 मार्च को जब  हरियाणा के तत्कालीन डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इस फोटो को अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया होगा तब हो सकता है कि आनंद फिल्म का यह डॉयलॉग उनके दिमाग में चल रहा हो। अगले दिन यानी मंगलवार को सब कुछ बदल गया। भाजपा-जजपा गठबंधन टूट गया, नायब सैनी सीएम बन गए, मनोहर लाल और दुष्यंत चौटाला क्रमश: पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उपमुख्यमंत्री हो गए। अनिल विज जो सुबह राजभवन जाने तक सक्रिय थे, अचानक अपना सरकारी अमला छोड़कर अपने अंबाला स्थित घर चले गए। नायब तो सीएम बन गए, लेकिन विज फिलहाल सैनी के नायब (डिप्टी) भी नहीं बन सके। इसमें चौंकने जैसा कुछ नहीं है जिन्हें यह सब कुछ अप्रत्याशित लग रहा हो, उन्हें 2 मार्च का तत्कालीन सीएम मनोहरलाल का बयान पढ़ या देख लेना चाहिए। मनोहरलाल ने उस दिन गुड़गांव से प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी दफ्तर का उद्घाटन किया और वर्चुअली इससे जुड़े थे। इस दौरान उ...

बिहार : पांच साल इंतजार नहीं करने वाली कौमें वाकई जिंदा हैं?

Image
बिहार में फिलहाल जिसने भी कुछ हासिल किया हो या कुछ खोया हो, लेकिन विजय और पराजय के वक्त में शिकस्त लोकतंत्र की हुई है, तार-तार नैतिकता हुई है, राजनीतिक हया बेपर्दा हुई है। नीतीश कुमार फिर सीएम बन जाएंगे, बीजेपी सत्ता में साझीदार हो जाएगी, लेकिन वहां के लोगों को क्या मिला? उस प्रदेश को क्या हासिल हुआ,जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां की राजनीतिक चेतना बहुत अच्छी है या जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करतीं? बीजेपी की उपलब्धि इस तोड़फोड़ यानी सीएम नीतीश कुमार के एनडीए में जाने से  INDI गठबंधन अप्रासंगिक सा हो जाएगा और लोकसभा चुनाव में कुछ अपवादों को छोड़कर  बीजेपी के सामने संयुक्त उम्मीदवार नहीं होंगे। ममता बनर्जी पहले ही अपने रास्ते अलग कर चुकी हैं, पंजाब के सीएम भगवंत मान लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कह चुके हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार में प्रवेश करने ही वाली है, उसके ठीक पहले बिहार का यह राजनीतिक घटनाक्रम कांग्रेस समेत INDI गठबंधन के नेताओं को हतोत्साहित करेगा ही।  INDI गठबंधन दरअसल नीतीश कुमार का ही प्रयास है। बाद में वहां जो...

राजस्थान से हरियाणा का मेवात क्षेत्र साधेगी बीजेपी!

Image
  पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने सबको चौंकाया, वैसे ही यदि पार्टी पहली  बार विधायक बनीं नौक्षम चौधरी को मंत्री बना दे या कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे तो भले यह चौंकाने वाला फैसला लगे, लेकिन मेवात इलाके में हिंदू वोटों को एकजुट रखने वाली स्ट्रैटिजी की तरह देखा जाना चाहिए। मेवात के राजस्थान में पड़ने वाले हिस्से की कामां सीट के बहाने बीजेपी पहले पूरे मेवात इलाके और हरियाणा नौक्षम का राजनीतिक इस्तेमाल कर सकती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में नौक्षम चौधरी नूंह जिले की पुन्हाना सीट से चुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं। यह उनका पैतृक इलाका है। बीजेपी ने पुन्हाना से सटी राजस्थान की कामां सीट पर नौक्षम पर दांव लगाया और पार्टी की यह चाल सफल रही। कामां का यह संदेश नूंह तक न पहुंचे ऐसा नहीं हो सकता। नौक्षम दिल्ली यूनिवर्सिटी के अलावा विदेश में भी पढ़ी-लिखी हैं, फर्राटेदार इंग्लिश बोल सकती हैं। प्रभावशाली व्यक्तिव है। पार्टी उन्हें कांग्रेस की प्रियंका गांधी के मुकाबले लॉन्च भी कर सकती है। नौक्षम चौधरी पढ़ी- लिखी हैं और एससी हैं। बीजेपी के पास यह ए...