मुख़्तार से मुख्तारी तक

अब तो लगता है कि मुख्तार से शुरू हुआ मुद्दा मुख्तारी तक पहुंच गया है। जिसे देखो वही अपने को प्रधान साबित करने पर तुला है। भतीजे से छीनकर चाचा को राज्य का इंचार्ज बना दिया गया है और चाचा बाकायदा उसका यूज भी कर रहे हैं। चचेरे ही सही, भांजे तक को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। दूसरी तरफ नेताजी हैं जो अपनी चौधराहट दिखाने के लिए सबको धता बताकर अमर बेल को महासचिव की झाड़ पर चढ़ा चुके हैं। सब चिल्ला रहे हैं कि यह बाहरी अमर बेल परिवार रूपी वट वृक्ष पर चढ़कर अंदर की शांति चूस रही है लेकिन यही तो चौधराहट शो करने का जरिया है। थोड़ा इधर-उधर कहते हैं एक बार भगवान शंकर को दुनिया का प्रधान बनने का चस्का लगा था। उन्होंने धरती के सारे मनुष्यों को बुलाया और अपनी इच्छा जताई। मानवों ने कहा कि सारी कायनात आपकी है। जैसा आप कहें, वैसा होगा। भोले भंडारी ने कहा कि इस साल धरती पर तुम लोग जो कुछ भी बोओगे, उसका नीचे का हिस्सा मेरा और ऊपर वाला हिस्सा तुमलोगों का। धरतीवासियों ने कहा कि प्रभु जैसी आपकी इच्छा। उस साल धरती पर धान और गेहूं बोए गए और बेचारे शंकर जी के हिस्से कुछ नहीं आया। उन्होंने अगले साल फिर धरतीव...