करवट की तलाश में ऊंट

राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में लोग बड़ी संख्या में ऊंटों को पालते हैं। कुछ ऊंट चैत्र मेले में बिछड़ गए और कुछ घर छोड़कर चले गए। इनके मालिक अब फिर से इन्हें वापस लाने की जुगत में हैं, ऐसा वहां के लोग बताते हैं। पॉलिटिक्स को लेकर पुरानी कहावत है, पता नहीं इस राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा? राजस्थान की राजनीति की भी फिलहाल यही दशा-दिशा है। ऊंट चूंकि राजस्थान का राजकीय पशु है, इसलिए थोड़ी चर्चा ऊंटों की भी। कोरोना काल में ऊंटों पर बुरा असर पड़ा। जब इस महामारी का दौर शुरू हो रहा था तब राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में चैत्र मेले की शुरुआत हो रही थी। इस मेले में बड़ी संख्या में ऊंटपालक भी पहुंचते हैं और जानवरों की खरीद-फरोख्त करते हैं। सरकार ने कोरोना की वजह से मेला बीच में ही बन्द कर दिया, लॉकडाउन हो गया और मेला बिखर गया। मीडिया रिपोर्ट्स है कि कई पशुपालको के सामने अपने ऊंटों को वहीं लावारिस छोड़कर लौटने के अलावा कोई चारा नहीं था, क्योंकि उनके लिए चारे का इंतज़ाम करना भी मुश्किल था। अब आते हैं हाथी पर। हाथी बसपा का चुनाव चिह्न है और हाथी छाप पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे छह लोग हाथी का सा...