हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहु विधि सब संता

1980 के दशक में चर्चित टीवी सीरियल रामायण में राम, सीता और लक्ष्मण के
रोलइन्हीं तीन कलाकारों-अरुण गोविल, दीपिका और सुनील लहरी ने किए थे
कवि-शायर कुंवर जावेद का सवाल है कि श्रीलंका में श्री क्यों लगता है? और किसी देश के नाम के आगे तो श्री नहीं लगता। अपने सवाल का जवाब भी वह अपनी नीचे लिखी रचना में देते हैं।

जला के पापों को फिर से उसे बसाना पड़ा
तो श्रद्धा आस्था के फूलों से सजाना पड़ा
हमारी माता ने कुछ दिन वहां बिताए थे
तभी तो नाम के आगे श्री लगाना पड़ा।

डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने लिखा है-कृष्ण ने कदम-कदम पर चमत्कार दिखलाए, लेकिन राजसत्ता को परिवार की एक शाखा से दूसरी शाखा में स्थानांतरित करने के अलावा वह कुछ बड़ा नहीं कर सके। इसके विपरीत राम जब घर से निकले तो सिर्फ तीन लोग थे और उसमें से दो ही युद्ध कर सकते थे, एक महिला केवल व्यवस्था कर सकती थी, लेकिन जब वे लौटे तो एक विशाल साम्राज्य खड़ा कर चुके थे। राम ने न तो सुग्रीव के राज को अवध में शामिल किया न ही लंका को। इसके विपरीत वहीं के लोगों को हुकूमत सौंप दी और उन्हें अपना मित्र बना लिया।

राम अवध के थे औऱ उनकी शादी मिथिलांचल नें हुई थी, लेकिन सावन में गाई जाने वाली भोजपुरी कजरी राम के बिना पूरी नहीं होती-हरे रामा चानवा गगनवा हेराइल, सावनवा आइल ए हरि। राम की शादी हालांकि सफल नहीं मानी जाती लेकिन अवध से सैकड़ों किमी दूर पूरब में शादी के मंडप में बैठा हर दूल्हा राम होता है और अवध से इतनी ही दूर पश्चिम में विद्यार्थी पहला पन्ना राम का, कहते हुए नई कॉपी का एक पेज खाली छोड़ देते हैं। कई ग्रामीण इलाकों में पुराने लोग गिनती एक के बजाय राम से शुरू करते है।

राम अवध के राजकुमार थे लेकिन बचपन में यज्ञ रक्षा के लिए विश्वामित्र मुनि लेकर चले गए। फिर जब राज्याभिषेक होने वाला था तो तापस वेश में वन जाना पड़ा। फिर सीता के निष्कासन के बाद महल में रहते हुए राजसी ठाट-बाट का त्याग किया। उनकी मूर्तियां 28 साल टेंट में रहीं। 

#5 अगस्त, शिलान्यास

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