व्यक्ति और समाज के ऐसे विकास का जिम्मेदार कौन?

एक युवक था, मनबढ़। छोटी-मोटी बदमाशी परिवार नज़रअंदाज़ करता रहा। पड़ोसी शिकायत करते रहे और परिवारवाले नज़रंदाज़। फिर एक दिन उसने किसी की हत्या कर दी। कहीं और नहीं, थाने में घुसकर, पुलिसवालों के सामने, लेकिन कोई गवाह नहीं मिला। हत्या किसी पुलिस वाले की हुई नहीं थी, तो पुलिस ने भी जाने दिया। अब उस युवक पर नेताओं की निगाह पड़ी। जातीय क्षेत्रीय सम्बन्ध जोड़े गए। जनप्रतिनिधि बनने के लिए उसकी मदद ली जाने लगी। वह क्राइम की दुनिया में घुसता गया। 
परिवार और पुलिस ने उसकी गलतियों को इग्नोर किया था, जबकि नेताओं ने उसे प्रोत्साहित किया। फिर एक साबुन-सर्फ बनाने वाली कम्पनी आई। उसने युवक को आर्थिक सुरक्षा दी। युवक का वाइट कालर जॉब करने वालों के बीच उठना-बैठना शुरू हुआ। फिर वह कम्पनी डेयरी के फील्ड में उतरी। उसने युवक के खौफ का इस्तेमाल किया। नतीजतन इलाके के गोपालकों ने सारा दूध उस नई कम्पनी को देना शुरू किया। दूध के धंधे में पहले से लगे लोगों के यहां दूध पहुंचना बन्द हो गया। फिर एक दिन पुलिस ने उउसे एनकाउंटर में मार दिया।
अब बताइये। युवक की इस अवस्था के लिए कौन अधिक जिम्मेदार है? परिवार, जिसने उसकी गलतियों  पर टोका नहीं। पुलिस,जिसने उसे हत्या करते देखा तो आंखें मूंद ली। नेता जो उसे जुर्म की दुनिया में गहरे तक ले गए, या वह कम्पनी जिसने उसे सामाजिक मान्यता भी दी और आर्थिक सुरक्षा भी। आपराधिक गुण तो उसमें थे ही।

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