इमेज बनाने की कोशिश में गोइठा पाथ दिया 'महारानी' ने
कुछ सच्चे पात्रों के साथ फर्जी कहानी। 2020 में जंगलराज की वजह से बिहार विधानसभा का चुनाव हारने के बाद अगले चुनाव से पहले उस पर पर्दा डालने की कोशिश। चारा घोटाला को दाना घोटाला कह कर नाम को लेकर कन्फ्यूज करने का प्रयास और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर ही नहीं, बल्कि उसे पूरी तरह सहूलियत के मुताबिक दिखाने की कला का प्रदर्शन। कहानी भी सच्ची घटना से मिलती-जुलती रखिए, जगह का नाम भी जो हकीकत में है उसे रखिए और यह भी कह दीजिए कि यह सब काल्पनिक है। इसलिए कोई अगर किसी सच्ची घटना पर आधारित या उसके आसपास की मूवी या वेब सीरीज बनाता है, तो वह कितनी छूट ले सकता है, इसकी सीमा रेखा तय करने का भी वक्त आ गया है। इस वेब सीरीज के बाद बिहार के रास्ते सिर्फ ट्रेन या प्लेन से गुजरने वाले भी एक बार फिर बिहार के बारे में लिखने-बोलने लगेंगे। एक बार फिर मायावती और ममता के बराबर का कद राबड़ी देवी का बताने वाले समीक्षकों की बाढ़ आ जाएगी। कुल मिलाकर यह वेब सीरीज राजनीतिक मकसद हासिल करने के इरादे से बनाई गई है, लेकिन इसे रियल स्टोरी बताने से भी गुरेज किया गया है।
फैक्ट से छेड़छाड़
लालू यादव ने जब बिहार का सीएम और वित्त मंत्री रहते हुए चारा घोटाला किया और जब जेल जाना तय हो गया तो लालू ने राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बनाया, न कि राबड़ी देवी ने पशुपालन घोटाले की जांच करवाई थी, जैसा इसमें दिखाया गया है। लालू के जेल जाने से पहले बिहार में जयप्रकाश नारायण यादव के सीएम बनने की चर्चा थी, लेकिन मुख्यमंत्री बनीं राबड़ी देवी, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर सत्ता परिवार से बाहर चली जाती और दूसरे मामले भी खुलते। लालू यादव को कभी कोई गोली नहीं लगी। तो इस वजह से नया मुख्यमंत्री चुनने की नौबत भी नहीं आई।
1995 का विधानसभा चुनाव
1990 में बिहार विधानसभा का चुनाव जनता दल ने जीता था और उस पर वीपी आंदोलन का असर था। 1994 में जनता दल के कई कद्दावर नेता (जार्ज फर्नांडीस व नीतीश कुमार समेत) लालू यादव की कार्यशैली से असंतुष्ट होकर समता पार्टी बनाकर जनता दल से अलग हो चुके थे। 1995 का चुनाव समता पार्टी लड़ी थी। सात सीटें उसने जीती थी। अगड़ी जातियों के युवाओं के रॉबिनहुड आनंद मोहन सिंह ने बिहार पीपुल्स पार्टी बनाई और खुद तीन जगहों से चुनाव लड़े और सभी जगहों से हारे थे। चुनाव में उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। बिपीपा जब कोई सीट ही नहीं जीती तो वेब सीरीज में इस पार्टी का कौन ठाकुर विधायक दिख रहा है, यह कौन बताएगा? वेब सीरीज में जो नवीन कुमार का कैरेक्टर है, वह किस पर फिट बैठता है, यह बिहार की राजनीति का कोई जानकार बताए तो सही।
प्रतिबंधित संगठन
बिहार में लालू यादव के समय अतिवादी वामपंथी संगठन अत्यधिक सक्रिय थे। एमसीसी के बारे में तो कहा जाता था कि उसे लालू यादव का संरक्षण हासिल है। जाति के आधार पर किसानों की जमीन पर लाल झंडे गाड़े जा रहे थे। उनकी फसलें जबरदस्ती काट ली जाती थीं। ऐसे माहौल में रणवीर सेना का उदय हुआ। बिहार की तत्कालीन पुलिस सवर्ण किसानों की गुहार पर ध्यान नहीं देती थी, तब रणवीर सेना का जन्म हुआ था न कि रणवीर सेना को रोकने के लिए किसी नक्सली संगठन का, जैसा इस वेब सीरीज में दिखाया गया है। रणवीर सेना के संस्थापक ब्रह्मेश्वर मुखिया की 2002 में गिरफ्तारी हुई और तब यह चर्चा थी कि उन्होंने सरेंडर किया है। बिहार पुलिस जब मुखिया के पीछे हाथ धोकर पड़ी थी तब तो सुराग भी नहीं लगा सकी थी।
राज्यपाल की भूमिका
बिहार में ऐसा कौन राज्यपाल हुआ जो पशुपालन घोटाले में लिप्त था? लालू यादव के समय एक राज्यपाल थे सुंदर सिंह भंडारी। उनके खिलाफ लालू समर्थक भद्दे-भद्दे नारे लगाते हुए प्रदर्शन करते थे। पटना के बेली रोड पर हवन कुंड बनाकर और राज्यपाल का नाम लेकर उन्हें स्वाहा कहते और करने की कामना करते हुए आहुति दी जाती थी।
अगड़ों से नफरत
यह वेब सीरीज में साफ-साफ दिख रहा है। इसमें लक्ष्मणपुर तो आता है लेकिन सेनारी नहीं। हत्याएं गलत हैं, चाहे किसी की हो, लेकिन उसे दिखाने में इतना सेलेक्टिव अप्रोच संदेह पैदा करता है। चूंकि वेब सीरीज सेनारी पर खामोश है और आप जानना चाहते हैं तो नीचे दिया गया लिंक क्लिक कर सकते हैं।
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