हरिवंश होने का अर्थ


राज्यसभा के उप सभापति चुने गए हरिवंश जी का क्या परिचय है? क्या एक सांसद, एक पत्रकार, प्रधानमंत्री का राजनीतिक सलाहकार, एक सम्पादक, एक बैंकर या और भी कुछ?
दरअसल, हरिवंश होने का एक मतलब एक ऐसा शख्स भी है जिसने जो चाहा, उसे हासिल किया। इसके अलावा एक ऐसा मैसेंजर भी कि यदि आप किसी फील्ड में टॉप पर हैं तो उसके बाद आपको और आगे बढ़ने के लिए लाइन चेंज कर लेनी चाहिए।
हरिवंश जी ने टाइम्स ग्रुप में ट्रेनी के तौर पर जॉइन किया, फिर छोड़ दिया। 3-4 साल बैंक में जॉब की। फिर रांची में एक मृतप्राय हो चुके अखबार प्रभात खबर को संभाला। यह वो दौर था, जब रांची में रांची एक्सप्रेस की तूती बोलती थी। हरिवंश जी ने प्रभात खबर को उससे बहुत आगे पहुंचा दिया। और जब सम्पादक के रूप में उनका कैरियर चरम पर था तो उन्होंने सांसद बनने की ठानी। मनोनीत होकर नहीं, निर्वाचित होकर। यह अलग बात है कि तब उनके सामने कोई कैंडिडेट नहीं था।
आज सम्भवतः पहली बार उन्होंने चुनाव का सामना किया और इसमें भी पास हुए।


थोड़ी पुरानी पोस्ट

पहले भी हो चुका है हरि बनाम हरि
राज्यसभा में आज होने जा रहे उपसभपाति के चुनाव में हरि बनाम हरि की चर्चा पूरे देश में है। nda कैंडिडेट हरिवंश और विपक्ष के बीके हरिप्रसाद मैदान में हैं। फिलहाल संख्याबल हरिवंश जी के पक्ष में अधिक है।
वैसे राँची के लोग 2000 में मीडिया इंडस्ट्री में हरि बनाम हरि देख चुके हैं, जब साल की दूसरी तिमाही में हरिनारायण सिंह (हरि भाई के नाम से मशहूर) प्रभात खबर से हरिवंश जी का साथ छोड़कर हिंदुस्तान अखबार में जा चुके थे। कई लोग उन्हें छोटा हरि कहते थे। हरिवंश जी तब प्रभात खबर में चीफ एडिटर थे जबकि हरिनारायण सिंह रेजिडेंट एडिटर। फिर दोनों हरि के माध्यम से पेज वॉर, लेआउट वॉर से लेकर तमाम द्वंद्व हुए। उस दौरान हरिनारायण सिंह ने हरिवंश जी के कुछ सिपहसालार तोड़ लिए थे। हालांकि अधिकतर लोग हरिवंश जी के साथ ही रहे थे। देखें आज क्या होता है?

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