रईस भी बीजेपी को कंगाल नहीं कर सकी
क्या आपने रईस देखी है? हाँ, फिल्म की ही बात कर रहा हूँ। फिल्म के शुरू में दूसरी फिल्मों की तरह डिस्क्लेमर आता है कि इस फिल्म के पात्र व कथानक काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इसका सम्बन्ध नहीं है।
इसके बाद फिल्म शुरू होती है और बताया जाता है कि गुजरात एक ड्राई स्टेट है यानी यहां शराब पीना और बेचना अपराध है। फिर कहा जाता है कि वहाँ सालाना 25 हज़ार करोड़ का शराब का कारोबार है। फिर फिल्म में लगातार आता है साहब का संबोधन। गुजरती व्यापारी होते हैं पर इस फिल्म में जब शाहरुख़ कहते हैं कि मेरी सांस को तो रोक लोगे पर गुजरात की हवा को कैसे रोकोगे। यहां की हवा में व्यापार है। वहां व्यापार एक गन्दे धंधे का बोध देता है। फिर वहां के cm को दिखाया जाता है कि लोग उसे साहब कह कर पुकारते हैं।
इसके बाद फिल्म शुरू होती है और बताया जाता है कि गुजरात एक ड्राई स्टेट है यानी यहां शराब पीना और बेचना अपराध है। फिर कहा जाता है कि वहाँ सालाना 25 हज़ार करोड़ का शराब का कारोबार है। फिर फिल्म में लगातार आता है साहब का संबोधन। गुजरती व्यापारी होते हैं पर इस फिल्म में जब शाहरुख़ कहते हैं कि मेरी सांस को तो रोक लोगे पर गुजरात की हवा को कैसे रोकोगे। यहां की हवा में व्यापार है। वहां व्यापार एक गन्दे धंधे का बोध देता है। फिर वहां के cm को दिखाया जाता है कि लोग उसे साहब कह कर पुकारते हैं।
गुजरात तो सचमुच ड्राई स्टेट है और वहां के अधिकतर लोग कारोबारी होते हैं। लंबे समय तक गुजरात का cm कौन रहा है। क्या यह अनायास है कि इस फिल्म में शाहरुख़ खान हैं। क्या यह यूँ ही हो गया कि मुंबई का अंडरवर्ल्ड गुजरात शिफ्ट कर दिया गया। क्या जिस गुजरात मॉडल की बात कहकर बीजेपी 2014 में केंद्र की सत्ता में आई थी, क्या यह गुजरात के उस मॉडल को तोड़ने की कोशिश नहीं थी? क्या यह फिल्म राजनीतिक प्रतिक्रियावाद में नहीं बनाई गई थी?
2004 का लोकसभा चुनाव याद करिये। सोनिया गांधी पर कितने पर्सनल अटैक किये गए। नतीजतन sympathy वोट से कांग्रेस की सरकार बनी थी। अभी क्या हो रहा है। हर दोष मोदी के सिर। up में सारे की पोस्ट पर यादव तैनात कर दो, लेकिन कोई बोलता नहीं है। मेरिट लिस्ट में एक जाति के लोगों के नाम दिखे तब भी किसी को कुछ नहीं दीखता। बीफ का बवाल बिसाहड़ा में होता है तो भी कोई नही कहता कि यह यूपी सरकार का फेल होना है। उसके लिए भी बीजेपी और मोदी को दोषी करार दे दिया गया। क्या यूपी पुलिस मोदी के अधीन है? 1995 का बिहार विधानसभा चुनाव याद करिए। अपर कास्ट के लोग लालू यादव को खुलेआम गाली देते थे। नतीजा यह हुआ कि लालू के वोटर उतनी मज़बूती से उनके साथ जुड़ते जाते थे। मोदी का यह कहकर मजाक उड़ाया गया कि वह बनारस में डर के मारे लगातार रोड शो कर रहे हैं। वाकई मोदी के लिए वोटों का इंतज़ाम उनके विरोधियों ने ही कर दिया था।
Up में बेरोज़गार युवाओं की बड़ी फौज है और हर जाति में हैं। जिन्हें अपना फ्यूचर अँधेरे में दिख रहा था। इनलोगों ने एंटी सपा वोट किया और एकजुट होकर किया।
Up में बेरोज़गार युवाओं की बड़ी फौज है और हर जाति में हैं। जिन्हें अपना फ्यूचर अँधेरे में दिख रहा था। इनलोगों ने एंटी सपा वोट किया और एकजुट होकर किया।
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