योगी का राज : योगहठ बनाम राजहठ


योगी आदित्यनाथ कैसे सीएम साबित होंगे यह तो वक़्त बताएगा, लेकिन उम्मीद के मुताबिक कई लोग परेशान जरूर हो गए हैं। विरोध भी शुरू होगा। सड़क पर भले न हो लेकिन परम्परागत और वैकल्पिक मीडिया में बगावत जरूर होगी। और अभी लगता है कि यही बीजेपी की रणनीतिक चाल होगी। इसी विरोध से निकलेगा जन समर्थन जो दिल्ली नगर निगम और आगामी विधानसभा के चुनावों में दिखेगा।

विरोध क्यों
योगी पर हिन्दू हितों की बात करने का आरोप है और इसी मुद्दे पर कई लोग उनका विरोध करते हैं। बीजेपी समर्थक कहते हैं कि इससे पहले यूपी में तो जाति-धर्म की ही राजनीति हो रही थी, फिर अचानक क्या कयामत आ गई?

थोड़ा विषयान्तर
भारतीय दर्शनों में चार्वाक सबसे पुराना है लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह दर्शन कब का है और इसके संस्थापक या प्रवर्तक कौन हैं। भारत में जो मोटे तौर पर 6 आस्तिक और 3 नास्तिक दर्शन (चार्वाक समेत) हैं उन सभी ने चार्वाक का निषेध किया है और यही विरोध चार्वाक दर्शन को स्थापित कराता है। यही स्ट्रैटिजी बीजेपी अपना रही है कि उसका इतना विरोध हो कि वोटर एकजुट रहें।

सफल नहीं रहे सन्त
बीजेपी जब मध्य प्रदेश में सत्ता में आई तो वहां उमा भारती को राज्य की बागडोर दे दी। उमा बुरी तरह फ्लॉप रहीं थीं। ढाई साल पहले बीजेपी केंद्र की हुकूमत में आई तो उमा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में रखा गया। गंगा नदी को जीवन देने के लिए अलग मंत्रालय बनाता गया और उमा को भगवान शंकर की जटा से निकल रही गंगा को निर्मल बनाने का जिम्मा दिया गया। अभी केंद्र के जितने प्रोजेक्ट हैं उनमें नमामि गंगे ही किसी भँवरजाल में फंसा है और फ़िलहाल इसके बाहर निकलने के आसार भी नहीं हैं।

गोरखपुर का मुख़्तसर परिचय
ईस्टर्न यूपी का बड़ा सेंटर जहां मेडिकल कॉलेज तो एक ही है लेकिन दवा का धंधा सालाना अरबों का है। गोरखपुर और इसके आसपास के कई जनपद, जिनमे बि

हार के जिले भी शामिल हैं, के युवा यहाँ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव बने हैं। यूनिवर्सिटी, एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज भी है यहां और मॉल भी। शहर के बीच से गुजर रहा नैशनल हाईवे काफी संकरा है और नवीन फल सब्ज़ी मंडी और रुस्तमपुर में रोजाना जाम लगता है। लोग अच्छे है पर कार या बाइक चलाते समय बेवजह हॉर्न बजाते हैं। बाइक वाला हर शख्स हर पांच मिनट पर एक बार चलती बाइक से थूकता है। अधिकतर हिंदू नॉनवेज के शौकीन हैं। उर्दू बाजार है या हिंदी बाजार, अली नगर है या आर्यनगर, इस झगड़े के बीच खानसामा जैसे शब्दों का इस्तेमाल बिना हिचकिचाहट के करते हैं। शास्त्री चौक पर अगल-बगल सिंह बिरयानी और टुंडे कबाबी हैं जहां हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही जाते हैं। घोष कम्पनी के पास स्थित झिनक की दुकान पर मटन खरीदने वालीं में हिंदुओं की तादाद अधिक होती है। मॉर्निंग वॉक के कई स्पेस हैं और एक शानदार रेल म्यूजियम भी यहां है। यहाँ 3 डब्बों की रेल में आप 10 रुपये का टिकट लेकर यात्रा कर सकते हैं। म्यूजियम में ट्रेन के एक कोच में बना एसी रेस्टोरेंट है जो चलती ट्रेन में खाने जैसी फीलिंग देता है। कहने को तो यहां हिंदुत्व का जोर दिखता है लेकिन यहाँ से बौद्ध धर्म के दो धाम कुशीनगर और लुम्बिनी आसानी से जाया जा सकता है। रामगढ ताल को टूरिस्टों के लिए डिवेलप किया जा रहा है लेकिन राप्ती नदी उपेक्षित है।मशहूर गोरखनाथ मंदिर में रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं और कई शादियां भी होती हैं। मंदिर प्रांगण में बड़ा सा तालाब है जहाँ आप बोटिंग कर सकते हैं। बोटिंग का मज़ा किसी भी धर्म के लोग ले सकते हैं।

कैसे-कैसे हठ
चार प्रकार के हठ बताये गये हैं राज हठ, बाल हठ, योग हठ और त्रिया हठ।

सहानुभूति वोट
जब सभी दल किसी एक को मिलकर घेरते है तो कई बार उसे बड़ा समर्थन मिलता है। सोशल मीडिया पर लगातार बीजेपी को घेरा जा रहा है और कई बार यह विरोध हास्यास्पद हो जाता है। बिना किसी की परफॉर्मेन्स देखे उसका विरोध नहीं होना चाहिए। होता यह है कि कोई देश छोड़ने की बात करने लगता है तो कोई दुनिया। जो वोट से जीतकर आया है उसका विरोध आप कैसे कर सकते हैं। पिछले साल साहियिक पत्रिका हंस की सालाना गोष्ठी हो रही थी। बीजेपी
और केंद्र सरकार को घेरा जा रहा था और इस प्रोग्राम का प्रायोजक था भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय। यानी सरकार से सहयोग भी लेंगे और उसे अछूत भी बताएंगे।

आगे क्या होगा?

अभी जिस तरह हर छोटी बड़ी बात के लिए
मोदी को घेरा गया मोदी और बीजेपी उतने ताकतवर होते गए। अगर इतना अटैक योगी पर होगा तो उनके सपोर्टर भी उतनी मजबूती से योगी के साथ खड़े होंगे। और इसका असर आनेवाले कई चुनाव में दिख सकता है।

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