बिहार में बहार

बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है
अभियोजन लाचार है, सामाजिक न्याय की सरकार है।
अद्भुत वहां भागलपुर का कारागार है
फ्रेश होकर निकलता जहां से गुनहगार है।
स्वागत में खड़ी वहां राज्य की सरकार है
फिर गाड़ियों के काफिले पे रॉबिनहुड सवार है।
तीन बेटों को खो चुका वो बूढ़ा लाचार है
उसकी आवाज़ सत्ता तक नहीं असरदार है।
सिवान में बना हुआ भव्य तोरणद्वार है
कहाँ गए पापा, राजदेव के बच्चों की पुकार है।
ये कैसी बहार है, ये कैसी सरकार है?
'परिस्थतियों के सीएम' धिक्कार है, धिक्कार है।

Comments

A-Rishi said…
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A-Rishi said…
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Unknown said…
poem says a lot

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