Say no to war कैंपेन क्यों?

Terror का अर्थ आतंक होता है, युद्ध नहीं। war का मतलब युद्ध होता है आतंक नहीं। पत्थरबाजी का अर्थ पत्थरबाजी होता है, युद्ध या आतंक नहीं। वॉर के अलावा प्रॉक्सी वॉर यानी छद्मयुद्ध और सिविल वॉर यानी गृह युद्ध भी होते हैं। वॉर को लेकर कुछ नियम हैं, जिसे जिनेवा सन्धि के नाम से जानते हैं। इसमें युद्धबंदियों के मानवीय अधिकारों की बात होती है। युद्ध के कुछ नियम भी होते हैं-मसलन सामान्य नागरिकों को निशाना न बनाना आदि। यह कुछ समय तक चलने वाली प्रक्रिया है।

आतंकवाद सतत चलने वाली प्रक्रिया है, जिसमें युद्ध के किसी नियम का पालन नहीं होता। इसमें ट्रेंड जवानों के बजाय 'भटके' हुए लोग शामिल होते हैं, जिनका धर्म तो होता है पर ईमान नहीं। जो धरती रूपी जन्नत को दोज़ख बनाने के लिए छुपकर लड़ते हैं। जिनके रिटायरमेंट की उम्र नहीं होती। जब तक इनके अंदर जहर भरा रहता है, ये सक्रिय रहते हैं। विघ्नसंतोषी इनसे सहानुभूति रखते हैं और जहां जरूरत होती है, इनके मानवाधिकारों के समर्थन में लेख लिखते और प्रदर्शन करते हैं।

पत्थरबाजी आतंकियों को कवर देने के लिए चलाया जाने वाला अभियान है, जो जम्मू व कश्मीर राज्य में दिखता है। जब सुरक्षाबल कोई तलाशी अभियान चलते हैं तब ये पत्थरबाज चेहरा ढंककर सक्रिय हो जाते हैं और आपरेशन में बाधा डालते हैं। ये सैनिक नहीं, बल्कि सैन्य अभियानों में बाधा डालने वाले और आतंकियों की मदद करनेवाले होते हैं।

इसलिये say no to war कहना अलग है, say no to terror कहना उससे जुदा और say no to pathar bazi कहना उससे अलहदा और वर्तमान हालात में तीनों को या युद्ध या आतंक को एक बताना शातिरपना। वॉर में न पत्थरबाजी समाहित है न आतंकवाद।

यह ध्यान दीजिए कि यह कैंपेन कब शुरू हुआ। यह कैंपेन शुरू हुआ भारत द्वारा पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद। ऐसा लगा कि कुछ लोग इस आशंका से त्रस्त हो गए कि कहीं पाकिस्तान पर आंच न आ जाए और मानवता की खाल ओढ़कर say no to war अभियान शुरू हो गया। इसके साथ ही पाकिस्तान और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान की प्रशंसा भी शुरू कर दी गई।

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