जयपुर ने गाया मेघ मल्हार


जयपुर जब बसा था तभी इसकी मुख्य सड़कों की चौड़ाई करीब 100 फीट रखी गई थी। कहीं पांच-दस फीट कम और पांच-सात फीट अधिक। पुराने जयपुर में दुकानों के आगे बने बरामदों से भी आगे रोड पर एक लेन पार्किंग होती है और उसके बाद ट्रैफिक चलता रहता है। दिल्ली-एनसीआर से जाने वाले वहां सामान्य ट्रैफिक देखकर काफी राहत महसूस करते हैं वहीं जयपुर वाले दिल्ली-एनसीआर में ड्राइव करने से कतराते हैं।

पिंक सिटी की सड़कें और बरामदे शुक्रवार को एकाकार हो गए। दोनों के ऊपर समान हाइट पर बारिश का पानी नदी का दृश्य उपस्थित कर रहा था और जो लोग गाड़ी हटाने से चूक गए वे जलमहल बन गए। जलमहल जयपुुर का एक टूरिस्ट स्पॉट भी है। चारों तरफ पानी के बीच बनी इमारत। राजस्थान की गर्मी और राजा-रानी की इससे राहत पाने की कोशिश है यह जलमहल।

उसी दौरान जयपुर विधानसभा में सरकार विश्वास प्रस्ताव पेश कर रही थी। वहां बाहर मेघ बरस रहे थे और अंदर विधायक बरस रहे थे, गरज रहे थे और तड़प रहे थे। सत्ता पक्ष विपक्ष को लक्ष्य कर मेघ गर्जन कर रहा था तो विपक्ष उसमें छेद करने की कोशिश में था। विधायकों की खरीदारी में नोटों की बारिश करने के भी आरोप लगे। पायलट को पहली कतार से उठाकर सरहद पर (जहां कांंग्रेस विधायकों की कतार खत्म हो रही थी) लैंड करा दिया गया था। गहलोत पूरे फॉर्म में थे। बसपा ने अपने विधायकों ( जो कांग्रेस में मर्ज हो चुके हैं) को सरकार के खिलाफ में वोट करने के लिए व्हिप जारी किया लेकिन बस बारिश में सभी आदेश-निर्देश बह गए। हाथी महावत के चंगुल से निकल गए।

कुछ लोग विधानसभा में सरकार की जीत को बंगले वाली राजनीति की जीत बता रहे हैं। जयपुर को जानने वाले इस राजनीति को भली-भांति समझते हैं।

Photos _ Ravindra Parashar




Comments

जैसी बारिश हुई है इससे ऐसा ही लग रहा कि कोई मेघ मल्हार ही गा रहा हो। बहुत सुंदर।

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