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Showing posts from 2017

रांची जेल की खैनी पार्टी

कई साल पहले बोस्टन की टी पार्टी हुई थी, जिसका इतिहास की किताबों में जिक्र है। उसके कई साल बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में कलमाडी की टी पार्टी हुई थी, जिसका जिक्र तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स में है। अब वक्त याद रखेगा बिरसा मुंडा जेल में हुए एकल खैनी स्वादन के लिए। हालांकि इस मामले को मीडिया में खैनी की तरह ही हल्के में लिया जा रहा है, जबकि इसका किरदार काफी वजनी है। इस खैनी कांड के किरदार पर 900 करोड़ से अधिक के पशुपालन घोटाले में शामिल होने का आरोप है। कई म ामलों में दोष साबित हो चुका है और एक में सजा भी हो चुकी है। सवाल यह है कि क्या जेल में बाहर से कोई भी चीज भेजी जा सकती है? आज खैनी, कल गांजा, परसों भांग, फिर स्मैक, चरस कुछ भी भेज दो। फिर जेलों के अंदर बार--बार तलाशी क्यों ली जाती है नशीले पदार्थों की। या खैनी को परम तत्व मानते हुए छुूट दी गई है। बचपन में खैनी पर सुनी एक कविता याद आ रही है हम काहें खइनी खाइना? एक दिन बीच सभा में बइठल रहनी खइनी लेके अइंठत रहनी जब दुख बुझाइल दूना त पाकिट में से कढनी चूना आ ओकरा के खैनी में मिलाय तब देनी मुंह में पठाय भर मुंहे जब थूक ...

सामाजिक न्याय या नव सामंतवाद

सोशल साइट्स पर ऐसी भी पोस्ट दिख रही हैं कि चारा घोटाले, हालांकि इसे पशुपालन घोटाला कहना ज्यादा सही है, में लालू यादव को सिर्फ इसलिए दोषी ठहराया गया है, क्योंकि वह पिछड़ी जाति ...

जाके पैर न फटे बिवाई

सामान्य रूप से पैर टूटना कितनी बड़ी बीमारी है। इसका इलाज सदर अस्पताल में हो सकता है या नहीं? जिस सरकारी अस्पताल में आर्थों का डॉक्टर मौजूद हो, वह क्या ऐसे पेशंट को हायर सेंटर रेफर करेगा? वह भी तब, जबकि पेशंट चाहे तो ऑर्डर जारी कर रूई, बैंडेज और दूसरे सामान का इंतजाम ही नहीं कर सकता, बल्कि कुछ की बहाली भी करा सकता हो। हे राम लेकिन हुआ ऐसा। बाबा गए तो थे भगवान राम का आशीर्वाद लेने, लेकिन मंजिल पर पहुंचकर लड़खड़ा गए। सीढ़ियों पर अपना वजन संभालना मुश्किल हो गया और नतीजा एड़ी के पास वाली हड्डी बुढ़ापे में चटक गई। हालांकि बाबा इसके बाद भी कहते रहे कि रामजी ने और गिरने से रोक लिया। बाबा का भौकाल टाइट है  तो हकीम भी मौके पर मौजूद थे। टांग टूटी थी बाबा की, लेकिन पैर डॉक्टर साहब के कांपने लगे। वजह का तो पता नहीं लेकिन कुछ लोग चुगली कर रहे हैं कि सदर अस्पताल में टूटी हड्डी का एक्सरे करने वाली मशीन महीनों से खराब है। अब कई महीनों से किसी वजनी जीव की हड्डी टूटी नहीं तो घूरहू-कतवारू का क्या एक्सरे करना? उन्हें तो देखकर बताया जा सकता है कि हड्डी टूटी है या नहीं? चूंकि मामल...

एयर इमरजेंसी न लगा दे लिट्टी-भंटा का मेला

अब यह बात स्थापित कर ही दी गई है कि दिल्ली-एनसीआर के आकाश पर छाया प्रदूषण पंजाब में जली पराली की देन है। शुक्रवार से थोड़ी राहत मिलने लगी है यानी पंजाब के किसान पुआल जला चुके ह...

जाने क्यों आकाश में कोहरा घना है

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खेती की जमीन कम होती जा रही है और पुआल जलाने से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के नियंताओं और मौसम वैज्ञानिकों, जलता हुआ पुआल ही है न बढ़ते प्रदूषण की बड़ी वजह? क्योंकि वृक्षारोपण सरकार और ngo करवा ही रहे हैं, नगर निगम की सड़कों की सफाई मशीनों से हो ही रही है। प्रदूषण कंट्रोल करने की योजना बनाने और इसके एवज में सैलरी लेनेवाले अपना काम कर ही रहे हैं। बिल्डर कंस्ट्रक्शन के मानकों से सूत भर भी इधर-उधर  हो ही नहीं रहे हैं। पर्यावरण को लेकर काम करने वाले और इसके लिए सम्मानित होने वाले एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा ही रहे हैं। सड़कों पर जाम न लगे, और एयर प्रदूषण न फैले, इसके उपाय बताने वाले लालाओं ने फुटपाथ पर पार्किंग बन्द कर ही दी है। आपकी मेहनत नदियों की हालत सुधारने के लिए उमा भारती की अगुआई में बने मंत्रालय (अब उमा हटाई जा चुकी हैं) ने गंगा यमुना समेत तमाम नदियों को जिंदा कर ही दिया है। गांव के तालाबों से कब्जा हटाकर उन्हें फिर से लबालब भर ही दिया गया है। जोहड़ कागजों से निकलकर जमीन पर आ गए हैं। राधा फिर यमुना किनारे मटकी लेकर जाने लगी हैं। परिं...

कलपेली भींजल तिवइया हो, उगीं हे दीनानाथ!

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ऐ खुदा थोड़ी करम फ़रमाई होना चाहिये इतनी बहनें हैं तो एक भाई होना चाहिए मुनव्वर राणा के इस शेर का कितने 'क्रांतिकारियों' ने विरोध किया ? यदि नहीं तो छठ में ही फॉल्ट क्यों ढूंढ रहे हैं कि यह बेटे का त्योहार है? यह क्यों नहीं मानते कि यह त्योहार सिस्टम को चैलेंज करता है। किसी पुरोहित की जरूरत नहीं, किसी मंत्र की आवश्यक्ता नहीं, किसी मुहूर्त का झंझट नहीं, किसी दक्षिणा की बाध्यता नहीं। खुदा और बन्दे के बीच किसी मुहम्मद की अनिवार्यता नहीं। साक्षात सूर्य और उनके उपासक। इससे बड़ी क्रांति हुई है कभी। और जो लोग रो रहे हैं कि इस पूजा का भी सारा दायित्व महिलाओं पर है वे यह सोचें कि उन असूर्यमपश्या महिलाओं के अंदर विरोध की कितनी चिनगारी थी। वे महिलाएं इनकी तरह सिर्फ गालवीर या कलमवीर नहीं थीं। छठ के गीतों की फिलॉसफी समझिए। गेहूं खरीदने से लेकर नदी किनारे घाट बनवाने और सुबह सूर्य से जल्दी उदित होने की आरजू। ये गीत ऊर्जा देते हैं। कभी पपड़ाये होठों और पानी में कांपते कण्ठों से फूटने वाले गीत, कल्पेली भीजल तिवईया हो उगीं हे दीनानाथ, सुनिए और इस हठ और विनय को समझिए, पता चलेगा कि साध्य को हासिल ...

सम्पूर्ण क्रांति

संपूर्ण क्रांति ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया है तो आज बेगम अख्तर का जन्मदिन लेकिन याद जेपी की आ रही है। अमिताभ भी एडवांस में दस्तक दे र...

ये इंतज़ार गलत है कि शाम हो जाये

ये रावण हमेशा शाम में ही क्यों जलता है? दीवाली की पूजा मध्य रात्रि में करने की वजह क्या है? रक्षाबंधन का त्योहार सुबह से ही क्यों मनाया जाता है (हालांकि अब कुछ लोग भद्रा का काल ...

चौबे जी की चांदी और बक्सर की...

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बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे केंद्रीय मन्त्रिपरिषद में जगह पा गए। पिछली बार बीजेपी ने उनकी पुरानी सीट भागलपुर से लड़ने लायक उन्हें नहीं समझा था, सो बक्सर में धकेल दिए गए। यहां ब्राह्णण समेत upper कास्ट व बीजेपी समर्थक दूसरी जातियों का ऐसा प्लेटफार्म तैयार है कि कोई भी बीजेपी का टिकट लाता तो जीत जाता। चौबे जी भी जीत गए। अब बक्सर क्या सेहतमंद हो जाएगा? विधानसभा चुनाव में भागलपुर सीट पर पुत्र मोह के कारण बीजेपी को बीमार करने का आरोप नए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री पर लग चुका है। वैसे 28 साल बाद बक्सर का कोई सांसद मन्त्रिपरिषद तक पहुंचा है। थोड़ा परिचय बक्सर में 1952 और 1957 में कमल सिंह निर्दलीय सांसद बने। वह डुमराव की पूर्व रियासत से सम्बन्ध रखते हैं। फिर  1962 में कांग्रेस के एपी शर्मा, 1967 में कांग्रेस के राम सुभग सिंह, 1971 में कांग्रेस के एपी शर्मा, 1977 में भारतीय लोक दल के रामानन्द तिवारी, 1980 और 1984 में कांग्रेस के केके तिवारी, 1989 और 1991 में सीपीआई के तेज नारायण सिंह, 1996, 98, 99 और 2004 में बीजेपी के लालमुनि चौबे, 2009 में राजद के जगतानन्द सिंह और 2014 में अश्विन...

युवा डीएम ने खुदकुशी की

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बक्सर के डीएम मुकेश पांडेय ने गाज़ियाबाद में ट्रेन से कट कर खुदकुशी कर ली है। 2012 बैच के आईएएस मुकेश ने इसी महीने बक्सर में जॉइन किया था। बिहार में पिछले महीने के आखिरी दिनों मे...

धर्म ही पूछ लो सबका

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अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद कश्मीर में पहला हिन्दू आतंकी संदीप पकड़ा गया है, ये न्यूज़ चर्चा में है। जब आतंकियों का धर्म नहीं होता तो फिर इसके धर्म वाले पॉइंट को इतना क्यों उछाला जा रहा है? क्या इसके पहले किसी आतंकी का धर्म बताया जाता था। तो क्या यह मान लिया गया था कि हिन्दू धर्म में कोई आतंकी हो ही नहीं सकता? हत्या गलत है और धार्मिक पहचान के आधार पर हत्या तो महापाप है। खबरें यह भी हैं कि वेस्टर्न यूपी का संदीप नाम का यह शख्स 3 साल पहले धर्मांतरण कर इस्लाम अपना चुका था और उसने अपना नाम आदिल रख लिया था। तो धर्मांतरण के बाद उसकी पुरानी धार्मिक पहचान क्यों नहीं खत्म हुई? सिर्फ इस थ्योरी को सपोर्ट करने के लिये कि हिन्दू भी आतंकी हो सकता है। जुनैद मर्डर केस यही हालत जुनैद और इख़लाक़ के मामले में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 जून को गाज़ियाबाद मथुरा शटल में मारे गए जुनैद के पूर्वज वशिष्ठ गोत्र के ब्राह्मण थे और फरीदाबाद के बघौला गांव के थे। जुनैद के एक पूर्वज ने इस्लाम अपना लिया और वे लोग फरीदाबाद के खन्दावली गांव में रहने लगे थे। जब जुनैद की हत्या हुई तो इसे एक मुस...

सरकार-3

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26 मई, मोदी सरकार के तीन साल। अजीब संयोग है कि 2010 में गुजरात पर्यटन के ब्रैंड एंबेसडर बने अमिताभ बच्चन की फिल्म सरकार-3 भी इसी साल आई। महानायक की फिल्म चली नहीं और केंद्र सरकार की फिल्म अभी दो साल और चलनी है। इसे दर्शकों (वोटरों) का जो रेस्पॉन्स मिला है उससे आशंका भी नहीं है कि इंटरवल के तत्काल बाद इस पर पर्दा गिर जाए। मख अश्व इस सरकार ने आते ही अपने अश्वमेध का घोड़ा छोड़ दिया जो बिहार और दिल्ली को छोड़कर चारों ओर विजय पताका फहराता घूम रहा है। लोकल बॉडी से लेकर विधानसभाओं त क और कच्छ से कामरूप तक। लेकिन इस सरकार के दो मंत्रियों की परफॉर्मेंस पर गौर करना जरूरी है। गाय-गंगा का जाप करने वाली उमा भारती का और ट्विटर ब्वॉय सुरेश प्रभु का। उमा की जटा में फंसी गंगा गंगा की हालत सुधारने का जिम्मा उमा भारती को दिया गया और उनके लिए खास मंत्रालय बनाया गया। तीन साल में उनका काम सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाया है। गंगा किनारे लगे उनके नाम के पत्थर राजनीतिक रूप से उमा को प्राणवायु दे रहे हैं और बगल में गंगा ऑक्सीजन विहीन होती जा रही है। क्या गंगा की गंदगी जानने के लिए किसी सर...

अपना भी एक कॉलेज था

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अपना कॉलेज भी अद्भुत था। नाम महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय और पता चरित्रवन बक्सर। हिन्दू रीति से होने वाली शादियों में एक मंत्र आता है जिसमें क न्या के सुहाग और दांपत्य जीवन के चैत्ररथ वन की तरह हरा-भरा रहने की कामना की जाती है। चरित्रवन इसी चैत्ररथ वन का अपभ्रंश माना जाता है। किस्सा यह भी है कि इसी वन में विश्वामित्र ने राम-लक्षमण को यज्ञ रक्षा के लिए रखा था , जहां राम ने ताड़का का वध किया था। चूँकि यह एक पुण्य क्षेत्र था, लिहाज़ा स्त्री हत्या के प्रायश्चित स्वरुप राम को यहां गंगा किनारे रामेश्वरनाथ की स्थापना कर पूजा करनी पड़ी थी। रामरेखा घाट पर यह मंदिर आज भी विद्यमान है। पहले बक्सर का मुख्तसर परिचय बक्सर, बिहार का वह जिला जहां से गंगा नदी राज्य में प्रवेश करती है।जहां 1539 में शेरशाह ने हुमायूं को परास्त किया था। जहां 1764 में मेजर हेक्टर मुनरो की सेना के सामने भारत की तीन सम्मिलित शक्तियां परास्त हुई थीं। इतिहास की किताबो में इसे बक्सर या कतकौली की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। बक्सर, जहां राम ने ताड़का का वध करने के बाद पड़ोसी गांव अहिरौली में गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या क...

अब वो जोगी नहीं आते

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यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद योगी शब्द हॉट हो गया है। अब चर्चा हो रही है कि अप्रैल में रामनवमी के बाद यूपी से सटे बिहार के बक्सर में योगी आदित्यनाथ आने वाले हैं। पहली बार किसी योगी के आने की चर्चा हो रही है, नहीं तो न जाने कितने जोगी पहले आते-जाते रहते थे। हालांकि अब वे जोगी नहीं आते। जोगियों की दिनचर्या 80 के दशक तक ये जोगी नियमित रूप से आते थे। पीठ पर गुदरी का झोला, कंधे पर आगे लटकती सारंगी, कान में काष्ठ कुंडल और गेरुआ वस्त्र। अधिकतर युवा। सुबह ब्रह्ममुहुर्त में गांव या मुहल्ले की फेरी सारंगी बजाते हुए लगाते थे। निर्गुण गीतों की प्रमुखता रहती थी। मसलन-राम के बोली बोल रे मैना राम के बोली बोल... उस समय कंधे पर रखी लाठी या सारंगी के नीचे लगी हुक के सहारे लालटेन भी टांगे रहते थे ये जोगी। फिर दिन में सारंगी बजाकर भिक्षाटन। लेकिन ये न तो पैसा लेते थे औऱ न ही अनाज। वे सिर्फ गुदरी-लुगरी यानी पुराने कपड़े ही लेते थे। कहते थे कि उन्हें 12 साल तक ऐसे ही घूमघूम कर 12 मन पुराने कपड़े जुटाने हैं। फिर उन्हें गोरखपुर के मंदिर में मिलेगी दीक्षा। एक मन यानी 40 किलो। वे शायद उसी मं...

योगी का राज : योगहठ बनाम राजहठ

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योगी आदित्यनाथ कैसे सीएम साबित होंगे यह तो वक़्त बताएगा, लेकिन उम्मीद के मुताबिक कई लोग परेशान जरूर हो गए हैं। विरोध भी शुरू होगा। सड़क पर भले न हो लेकिन परम्परागत और वैकल्पिक मीडिया में बगावत जरूर होगी। और अभी लगता है कि यही बीजेपी की रणनीतिक चाल होगी। इसी विरोध से निकलेगा जन समर्थन जो दिल्ली नगर निगम और आगामी विधानसभा के चुनावों में दिखेगा। विरोध क्यों योगी पर हिन्दू हितों की बात करने का आरोप है और इसी मुद्दे पर कई लोग उनका विरोध करते हैं। बीजेपी समर्थक कहते हैं कि इससे पहले यूपी में तो जाति-धर्म की ही राजनीति हो रही थी, फिर अचानक क्या कयामत आ गई? थोड़ा विषयान्तर भारतीय दर्शनों में चार्वाक सबसे पुराना है लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह दर्शन कब का है और इसके संस्थापक या प्रवर्तक कौन हैं। भारत में जो मोटे तौर पर 6 आस्तिक और 3 नास्तिक दर्शन (चार्वाक समेत) हैं उन सभी ने चार्वाक का निषेध किया है और यही विरोध चार्वाक दर्शन को स्थापित कराता है। यही स्ट्रैटिजी बीजेपी अपना रही है कि उसका इतना विरोध हो कि वोटर एकजुट रहें। सफल नहीं रहे सन्त बीजेपी जब मध्य प्रदेश म...